उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में संपत्ति विवाद ने एक भयावह रूप ले लिया। कोर्ट के आदेश पर पुश्तैनी मकान खाली कराने गई राजस्व टीम और पुलिस के सामने 22 वर्षीय दलित युवक शिवम वाल्मीकि ने पेट्रोल डालकर खुद को आग के हवाले कर दिया। गंभीर रूप से झुलसने के बाद उसे पहले जिला अस्पताल और फिर सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
विवाद की जड़ और घटनाक्रम
शिवम सदर कोतवाली क्षेत्र के पक्का तालाब चौराहे पर परिवार के साथ पुश्तैनी घर में रहता था। इस मकान पर कब्जे को लेकर सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट में मुकदमा चल रहा था, जिसमें फैसला शिवम के पक्ष के खिलाफ आया।
कोर्ट के निर्देश पर नायब तहसीलदार, अमीन और अन्य अधिकारी पुलिस फोर्स के साथ घर खाली कराने पहुंचे। जैसे ही सामान बाहर निकाला जाने लगा, शिवम भड़क गया। दूसरे पक्ष से देवी प्रसाद पटेल और उनके लोग भी मौके पर मौजूद थे। इसी दौरान शिवम ने घर के अंदर पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग लगा ली।
आग की लपटें देखकर मौके पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिस और स्थानीय लोगों ने मिलकर आग बुझाई और शिवम को तुरंत अस्पताल पहुंचाया।
परिवार का आरोप
परिजनों में गुस्सा भरा हुआ है। शिवम की भाभी ज्योति ने गंभीर इल्जाम लगाए कि उनका जेठ नशे की लत का शिकार था और नशे में ही सादे कागज पर अंगूठा लगवा लिया गया था। जेठ की मौत के बाद देवी प्रसाद पटेल ने कोर्ट में केस दायर कर मकान हड़पने की कोशिश की। देवी प्रसाद एक होटल कारोबारी हैं और पैसे के दम पर दबाव बना रहे थे।
ज्योति ने आगे कहा कि आज टीम लेकर आए लोगों ने पुलिस-प्रशासन के सामने सामान फेंका, विरोध करने पर शिवम को मारापीटा और फिर उसे पेट्रोल डालकर आग लगा दी।
पुलिस का पक्ष
सीओ इटावा अभय नारायण सिंह ने बताया कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश पर कार्रवाई की जा रही थी। इसी बीच शिवम ने खुद पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की। उसका सैफई में इलाज चल रहा है। मामले की जांच की जा रही है।




