साइबर ठगों ने एक नया तरीका अपनाते हुए कानपुर के एक रिटायर्ड इंजीनियर और उनकी पत्नी को 70 दिनों तक घर में ही ‘डिजिटल अरेस्ट’ रखकर उनकी जीवनभर की कमाई लूट ली। ठगों ने पुलिस और CBI अधिकारी बनकर डराया-धमकाया और कुल 53 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए। अब पीड़ित दंपती के पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं बचे।
कैसे शुरू हुई ठगी?
रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रमेश चंद्र (केस्को से सेवानिवृत्त) अपनी पत्नी नीलम के साथ उपवन सोसाइटी, कोहना में रहते हैं। उनकी पत्नी को किडनी की गंभीर बीमारी है और सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता है। बच्चे विदेश और नोएडा में नौकरी करते हैं।
3 अक्टूबर को अस्पताल में पत्नी की डायलिसिस कराते समय रमेश को एक कॉल आई। कॉलर ने खुद को ‘गौरव’ बताया और कहा कि उनके नाम से सिम लेकर महाराष्ट्र की एक लड़की को प्रताड़ित किया गया, जिसने सुसाइड कर लिया। कॉल काटने के बाद दूसरी कॉल आई, जहां खुद को कोलाबा पुलिस स्टेशन (मुंबई) का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल की गई।
ठगों ने आरोप लगाया:
- मनी लॉन्ड्रिंग का केस।
- जेट एयरवेज मालिक नरेश गोयल से जुड़ा मामला, जहां रमेश ने कथित तौर पर अपना अकाउंट इस्तेमाल करने दिया।
- परिवार को नजरबंद करने और संपत्ति सीज करने की धमकी।
70 दिनों का टॉर्चर
- 9 अक्टूबर से ठगों ने 24 घंटे वीडियो कॉल पर निगरानी शुरू कर दी।
- दंपती को एक कमरे में बंद रहने को कहा। बाहर निकलने, खाना खाने या बाथरूम जाने के लिए इजाजत लेनी पड़ती थी।
- पहले दिन खाना-पानी तक नहीं लेने दिया।
- दीपावली पर बेटा आया तो वापस भेजने को मजबूर किया।
- बैंक जाने, शादी पार्टी में जाने या डायलिसिस कराने तक वीडियो कॉल पर निगरानी।
- बाहर जाने पर कपड़ों का रंग बताने को कहा जाता।
- बच्चों की जान और करियर बर्बाद करने की धमकियां।
ठगों ने फर्जी CBI अधिकारी ‘एसके जायसवाल’ और सुप्रीम कोर्ट जज से बात कराई। पैसा वापस आने का झांसा देकर और ट्रांसफर करवाए।
कैसे लूटे 53 लाख?
- PPF, म्यूचुअल फंड, शेयर्स बेचवाकर पैसे ट्रांसफर करवाए।
- अलग-अलग खातों में RTGS: बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडसइंड बैंक, ICICI आदि।
- अंत में ‘बेल सिक्योरिटी बॉन्ड’ के नाम पर 10 लाख।
अब अकाउंट में सिर्फ 11 हजार रुपये बचे, जिसमें से डायलिसिस के भी खर्च हो गए।
पीड़ितों की व्यथा
रमेश चंद्र ने कहा, “मैंने जीवन में एक रुपये की रिश्वत नहीं ली। मेरी मेहनत की कमाई चली गई।” वे रो पड़े। पत्नी नीलम बोलीं, “दोनों किडनी खराब हैं, अब इलाज के पैसे नहीं। खुद का घर तक नहीं खरीद पाए।”
15 दिसंबर को ठगी का एहसास होने पर पुलिस में केस दर्ज कराया।
सावधानी: ऐसे बचें डिजिटल अरेस्ट ठगी से
- कोई पुलिस या CBI अधिकारी फोन/वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी या जांच नहीं करता।
- पैसे ट्रांसफर करने को कहे तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
- परिवार से बात करें, अकेले डरें नहीं।
- अनजान कॉल पर पर्सनल डिटेल्स न शेयर करें।
यह मामला साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को उजागर करता है। कानपुर में ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।




