उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में यमुना एक्सप्रेसवे पर 16 दिसंबर 2025 की सुबह घने कोहरे ने कहर बरपाया। माइलस्टोन 127 के पास बलदेव थाना क्षेत्र में 8 बसें और 3 कारें आपस में टकरा गईं। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कई वाहनों में आग लग गई और 13 लोग जिंदा जलकर मर गए। 70 से अधिक यात्री घायल हो गए, जिनमें कई की हालत गंभीर है। हादसे की भयावहता इतनी थी कि शव इतने बुरी तरह जल चुके थे कि पहचान मुश्किल हो रही है। पुलिस ने क्षत-विक्षत अवशेषों को 17 पॉलीथिन बैग में भरकर पोस्टमॉर्टम हाउस भिजवाया, जहां बाकी शवों की शिनाख्त डीएनए टेस्ट से होगी।

हादसा तड़के करीब 4:30 बजे हुआ जब विजिबिलिटी न के बराबर थी। एक स्लीपर बस ने ब्रेक लगाया तो पीछे आ रही बसें और कारें एक-एक कर टकराती चली गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टक्कर के बाद बम जैसे धमाके हुए और बसें आग के गोले में बदल गईं। लोग शीशे तोड़कर कूदने लगे, लेकिन कई फंसकर रह गए। रेस्क्यू में पुलिस, फायर ब्रिगेड और SDRF की टीमों ने 6 घंटे तक संघर्ष किया। एक्सप्रेसवे पर 3 किमी लंबा जाम लग गया।

इस हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। हमीरपुर के राठ निवासी गुलजारी लाल की भाभी पार्वती देवी (45) अपने दो बच्चों के साथ दिल्ली जा रही थीं। हादसे के बाद दोनों भतीजे तो शीशा तोड़कर बाहर निकल आए, लेकिन पार्वती बस में फंस गईं। बच्चों ने बताया कि मम्मी की गर्दन में कांच फंस गया और वे बाहर नहीं निकल पाईं। गुलजारी लाल घंटों अस्पतालों और पोस्टमॉर्टम हाउस के चक्कर काटते रहे। वे भाभी की तस्वीर दिखाकर पूछते रहे, लेकिन कहीं पता नहीं चला। आंसू पोछते हुए उन्होंने कहा, “भतीजों को तो बचा लिया, लेकिन भाभी का कोई अता-पता नहीं। कंकालों में पहचान कैसे हो?” उनकी आंखों में उम्मीद और डर दोनों झलक रहे थे।

जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि अब तक केवल 5 मृतकों की शिनाख्त हो पाई है। इनमें सुल्तान अहमद (गोंडा), अखलेंद्र प्रताप यादव (प्रयागराज), रामगोपाल (महाराजगंज), रामपाल (दिल्ली) और मोहम्मद शमील (कानपुर देहात) शामिल हैं। बाकियों की पहचान डीएनए से होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया और घायलों के इलाज के निर्देश दिए। हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं, जिसमें ADM की अगुवाई में टीम कारणों की पड़ताल करेगी।

यह हादसा सर्दियों में कोहरे से होने वाली दुर्घटनाओं की याद दिलाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाईवे पर स्पीड लिमिट और फॉग लाइट्स का सख्ती से पालन जरूरी है। फिलहाल रेस्क्यू पूरा हो चुका है, लेकिन परिजनों का इंतजार और दर्द जारी है I





