समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान और उनके बेटे, सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खान को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। रामपुर की अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया है। यह पूरा मामला दो अलग-अलग PAN कार्ड रखने और फर्जी जन्मतिथि के आधार पर चुनाव लड़ने से संबंधित है। कोर्ट के इस फैसले ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है।
विधानसभा का चुनाव के नियमों का उल्लंघन
दरअसल, अब्दुल्ला आज़म खान पर आरोप था कि उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए नियमों का उल्लंघन किया। चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष होती है, जबकि उस समय अब्दुल्ला की वास्तविक उम्र इससे कम थी। इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने कथित रूप से दूसरा PAN कार्ड बनवाया, जिसमें अपनी उम्र अधिक दिखाई गई। इसी दस्तावेज के आधार पर उन्होंने चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
रची साजिश की अब्दुल्ला की मदद
इसी केस में आजम खान पर आरोप लगा कि उन्होंने इस पूरे मामले की साजिश रची और अपने बेटे की मदद की। जांच के दौरान यह पाया गया कि अब्दुल्ला आज़म के दो PAN कार्ड मौजूद थे—एक असली और दूसरा विवादित, जिसमें जन्मतिथि बदली गई थी। इसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर
आजम खान ने इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी। उन्होंने FIR रद्द करने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि FIR रद्द करने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है और केस में गंभीर आरोप शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ हो गया था कि कानूनी मुश्किलें अब्दुल्ला और आजम खान के लिए बढ़ सकती हैं।
फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी के आरोप
हलाकि लंबे कानूनी संघर्ष के बाद रामपुर कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल और धोखाधड़ी जैसे आरोप शामिल थे। दोष सिद्ध होने के बाद अब दोनों को सजा भी सुनाई जा सकती है। राजनीतिक रूप से यह फैसला सपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि आजम खान रामपुर क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता रहे हैं और अब्दुल्ला भी उभरते युवा नेता माने जाते थे।


