देशभर में इन दिनों राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी कर देशवासियों को बधाई दी। लेकिन इसी बीच मुंबई में वंदे मातरम को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक अबू आसिम आजमी के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
कोई मुझसे वंदे मातरम नहीं बुलवा सकता-अबू
दरअसल, मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम ने अबू आजमी को उनके आवास के पास शुक्रवार सुबह होने वाले वंदे मातरम गायन कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। साटम ने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर निमंत्रण की प्रति साझा करते हुए आजमी को टैग भी किया था। इसके जवाब में अबू आजमी ने कहा कि “कोई मुझसे वंदे मातरम नहीं बुलवा सकता। इस्लाम में जमीन या सूरज की पूजा नहीं की जाती, अल्लाह के सिवा किसी की वंदना नहीं होती। जैसे आप नमाज नहीं पढ़ सकते, वैसे ही कोई मुसलमान वंदे मातरम नहीं बोल सकता।”
जबरन बोलवाना अधिकारों का उल्लंघन
आजमी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को जबरन राष्ट्रगीत या वंदे मातरम बोलने के लिए बाध्य करना, उसके धार्मिक स्वतंत्रता और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं को भी खारिज किया था, जिनमें वंदे मातरम को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के समान दर्जा देने की मांग की गई थी।
अबू के बयान के बाद राजनीति में जबरदस्त हलचल
अबू आजमी के इस बयान के बाद मुंबई की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई। बीजेपी नेताओं ने आजमी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शुक्रवार सुबह मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम और विधानसभा अध्यक्ष राहिल नार्वेकर सहित कई बीजेपी कार्यकर्ता आजमी के घर के बाहर एकत्र हुए और मंच से वंदे मातरम का सामूहिक पाठ किया। इस दौरान कुछ विवादित नारे भी लगाए जाने की खबर है।
किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना मकसद नहीं
विवाद बढ़ने के बाद अबू आजमी ने कहा कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि वे सिर्फ अपने धार्मिक विश्वास पर कायम हैं। दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं ने आजमी से माफी की मांग करते हुए कहा कि “वंदे मातरम” भारत की आत्मा है, इसका विरोध देश का अपमान है।


