बिहार में जब छठ पूजा का पर्व आता है, तो पूरा राज्य भक्ति और श्रद्धा की रोशनी से जगमगाने लगता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि लोक आस्था का सबसे बड़ा उत्सव है, जो सूर्य देव और छठी मईया की पूजा के रूप में मनाया जाता है। घाटों पर सजावट, गूंजते लोकगीत, जल में अर्घ्य और आस्था से भरे चेहरे — यही है छठ का असली रंग।
चार दिनों तक रहेगा महापर्व का आगाज़
चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जब श्रद्धालु पवित्र जल से स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं। इसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन होता है। इस दौरान बिहार के हर शहर और गांव में श्रद्धा का माहौल देखने लायक होता है।
छठ पूजा पर जाए ऐतिहासिक मंदिर
अगर आप इस बार छठ पूजा के मौके पर बिहार जाने की योजना बना रहे हैं, तो पूजा-अर्चना के साथ राज्य के कुछ प्रमुख और ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन अवश्य करें। ये मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहां की पवित्रता और शांति मन को अद्भुत सुकून देती है।
औरंगाबाद: सबसे पहले बात करते हैं देव सूर्य मंदिर (औरंगाबाद) की। यह मंदिर भारत के प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि यहां सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है। छठ पर्व के समय इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होकर जल अर्पण करते हैं।
नालंदा: इसके बाद उलार सूर्य मंदिर (नालंदा) का विशेष महत्व है। यह मंदिर गंगा के तट पर स्थित नहीं है, लेकिन यहां छठ पूजा का आयोजन भव्य रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि यहां अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
पटना: पटनादेवी मंदिर (पटना) भी छठ पूजा के दौरान आस्था का केंद्र बन जाता है। यह बिहार के सबसे प्राचीन शक्ति पीठों में से एक है। यहां मां शक्ति और भगवान शिव की संयुक्त पूजा होती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और बल मिलता है।
सीवान: वहीं, शीतला माता मंदिर (सीवान) में छठ के अवसर पर विशेष भीड़ उमड़ती है। भक्तों का विश्वास है कि मां शीतला अपने भक्तों की पीड़ा हरती हैं और रोगों से मुक्ति दिलाती हैं।
चारों तरफ प्रकृति, परंपरा और पूजा का वास
बिहार की मिट्टी में बसती है छठ की भावना — जहां प्रकृति, परंपरा और पूजा एक साथ मिलकर भक्ति का विशाल पर्व रचते हैं। चाहे घाटों की रोशनी हो या गीतों की मधुर धुन, छठ पूजा के दौरान बिहार सचमुच बन जाता है — आस्था की धरती और श्रद्धा की राजधानी।


