जैसलमेर, राजस्थान में हाल ही में हुए बस हादसे ने बड़े सुरक्षा लापरवाहियों को उजागर किया है। हादसे में मारी गई बस मूल रूप से चित्तौड़गढ़ में नॉन-एसी वाहन के रूप में पंजीकृत थी, लेकिन इसके मालिक ने इसे अवैध रूप से एसी बस में बदल दिया था। इस बदलाव को परिवहन विभाग के अधिकारियों ने समय पर नहीं देखा।
परिवहन विभाग के अधिकारी हुए हैरान
आपको बता दें… हादसे के बाद चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग के अधिकारी हैरान रह गए। वहीं, उसी ऑपरेटर की अन्य बसों की जांच शुरू कर दी गई है। राजस्थान सरकार के आदेश पर जिलाधिकारी अलोक रंजन ने बुधवार को RTO कार्यालय का दौरा किया और परिवहन अधिकारी नेमिचंद पारीक और जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह से बस की पंजीकरण संबंधी जानकारी ली।
हादसे में 21 लोगों की मौत
वही जांच में अधिकारियों ने पुष्टि की कि बस शुरू में नॉन-एसी वाहन के रूप में पंजीकृत थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया। हादसा 14 दिन बाद हुआ, जबकि बस ने 1 अक्टूबर को सेवा शुरू की थी। 14 अक्टूबर को हुए हादसे में 21 लोगों की मौत हो गई।
मालिक की होगी बदलाव की जिम्मेदारी
जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह ने कहा कि विभागीय रिकॉर्ड में बस नॉन-एसी के रूप में दर्ज है और मालिक द्वारा किए गए बदलाव केवल जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगे। उन्होंने बताया कि बस का निर्माण पंजीकरण से पहले तीन महीनों में पूरा हुआ था और पंजीकरण के 15 दिन के भीतर किए गए किसी भी बदलाव की जिम्मेदारी बस मालिक की होगी। इस गंभीर हादसे ने हाल ही में पंजीकृत बसों की सुरक्षा और नियम पालन को लेकर चिंता बढ़ा दी है। परिवहन विभाग ने सभी संबंधित बसों की जांच तेज कर दी है।