बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। चुनावी बिगुल बजते ही सियासी बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने पुराने अंदाज में लौट आए हैं। उन्होंने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिये ऐसा बयान दे दिया है जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
लालू यादव का देसी तंज बना नया चुनावी नारा
लालू यादव हमेशा अपने हास्य और व्यंग्य भरे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। वह जनता की भाषा में राजनीति करने में माहिर हैं और इस बार भी उन्होंने वही किया। उनका नया बयान, “छह और ग्यारह, NDA नौ-दो-ग्यारह” तेजी से वायरल हो गया है। इसका मतलब है कि 6 और 11 नवंबर को वोटिंग के बाद एनडीए (NDA) सत्ता से बाहर हो जाएगा। उनके इस बयान को अब आरजेडी कार्यकर्ता चुनावी नारे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। पूरे बिहार में पार्टी के पोस्टर और सोशल मीडिया कैंपेन में यह लाइन गूंजने लगी है — “छह और ग्यारह, NDA नौ-दो-ग्यारह।”
सोशल मीडिया पर छाया लालू का बयान
लालू यादव ने हाल के महीनों में एनडीए सरकार पर कई व्यंग्यात्मक पोस्ट किए हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने लिखा था, “20 सालों से बिहार पर झूठी सरकार का राज है, अब जनता हिसाब मांगेगी।” एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा था, “किसानों को रुलाने वाली सत्ता अब खुद रोएगी।” अब उनका नया पोस्ट “छह और ग्यारह, NDA नौ-दो-ग्यारह” न सिर्फ एक व्यंग्य है, बल्कि बिहार चुनाव की सोशल मीडिया थीम बन गया है।
लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
लालू यादव के इस बयान पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। समर्थक इसे “जनता की आवाज़” बता रहे हैं और पार्टी प्रचार में इस नारे को प्रमुखता से इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं विरोधी उनके पुराने मामलों को याद दिलाते हुए मीम्स और तंज कस रहे हैं। कुछ यूजर्स ने कमेंट किया — “छह और ग्यारह, RJD नौ मौर चारा!” “तीन और सात, लालू जी का घात, गाय बोली – मेरा चारा कौन खात!” “समोसे में आलू रहेगा लेकिन बिहार में लालू नहीं रहेगा।”
चुनावी जंग में सोशल मीडिया बना बड़ा हथियार
बिहार की सियासत में सोशल मीडिया की भूमिका लगातार बढ़ रही है। लालू यादव का यह देसी तंज अब आरजेडी के लिए चुनावी हथियार बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालू का यह स्टाइल उनके समर्थकों में जोश भरने का काम कर रहा है और आने वाले दिनों में यह नारा बिहार चुनाव प्रचार का केंद्रबिंदु बन सकता है।