उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 26 सितंबर को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल बरेली का दौरा करने वाला था, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सभी नेताओं को रोक दिया। प्रतिनिधिमंडल में सपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के साथ सांसद हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, मोहिबुल्लाह नदवी, नीरज मौर्य, पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव और प्रवीण सिंह ऐरन शामिल थे।
माता प्रसाद पांडेय को मिला हाउस अरेस्ट का नोटिस
लखनऊ पुलिस ने नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को नोटिस जारी करते हुए उनके घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी। पुलिस ने कहा कि उन्हें बिना अनुमति बरेली जाने की इजाजत नहीं है। पांडेय ने कहा, “हम बरेली की स्थिति का जायजा लेने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने मुझे घर में ही रहने का आदेश दिया। दरोगा ने साफ कहा कि आप घर से बाहर नहीं निकल सकते। प्रशासन अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए हमें रोक रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि सपा नेताओं का मकसद वहां के लोगों की बात सुनना और शांति बनाए रखने की अपील करना था, न कि माहौल बिगाड़ना।
संभल में बर्क के घर पुलिस तैनात
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के संभल स्थित घर के बाहर भी भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस ने सपा नेताओं की गतिविधियों पर उनके-अपने जिलों में नजर रखी हुई है। प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी राजनीतिक प्रतिनिधि बिना अनुमति बरेली की सीमा में प्रवेश न करे।
बरेली में अब भी तनाव, धारा 144 लागू
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद “आई लव मोहम्मद” का पोस्टर थामे कुछ युवकों के चलते तनाव बढ़ गया था। बताया गया कि इस्लामिया ग्राउंड के पास जुलूस निकालने की कोशिश के दौरान अराजक तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। कई लोग घायल हुए और पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई।
प्रशासन का दावा – शांति बनाए रखना प्राथमिकता
बरेली जिला प्रशासन ने कहा कि बाहरी नेताओं के आने से माहौल बिगड़ सकता है, इसलिए यह कदम उठाया गया है। अधिकारी ने कहा कि “शांति और सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। किसी को भी स्थिति को भड़काने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”