भारत और भूटान के रिश्ते हमेशा से गहरे और भरोसे पर टिके रहे हैं। चाहे राजनीति हो, सुरक्षा हो या फिर व्यापार—दोनों देशों ने एक-दूसरे का हर वक्त साथ दिया है। अब इस रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सोमवार को केंद्र सरकार ने करीब 4,033 करोड़ रुपये की लागत से दो बड़े रेल प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी। यह केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारत-भूटान की दोस्ती और विकास की नई राह है।
प्रोजेक्ट क्या है?
- कोकराझार (भारत) से गेलेफू (भूटान)
- लंबाई: 69 किलोमीटर
- लागत: 3,456 करोड़ रुपये
- समय: 4 साल
- खासियत: यह भूटान का पहला रेल प्रोजेक्ट होगा, जो सीधे भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगा।
- बानरहाट (भारत) से सम्त्से (भूटान)
- लंबाई: 20 किलोमीटर
- लागत: 577 करोड़ रुपये
- समय: 3 साल
- खासियत: यह छोटा प्रोजेक्ट पश्चिम बंगाल और भूटान की कनेक्टिविटी को और मजबूत करेगा।
क्यों है यह प्रोजेक्ट खास?
- भूटान को पहली बार रेल सुविधा
आज तक भूटान सड़क मार्ग से जुड़ा था। अब पहली बार वहां ट्रेन पहुंचेगी। - व्यापार और पर्यटन को रफ्तार
गेलेफू और सम्त्से जैसे इलाके बड़े एक्सपोर्ट-इंपोर्ट हब हैं। रेल से सामान और यात्रियों की आवाजाही आसान होगी। - भूटान की अर्थव्यवस्था को सहारा
भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भूटान के ज्यादातर सामान भारत के बंदरगाहों से गुजरते हैं। रेल संपर्क से लागत कम होगी और कारोबार बढ़ेगा। - दोस्ती और भरोसा और गहरा
यह प्रोजेक्ट सिर्फ पटरियां बिछाने का काम नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने की तैयारी है।
येलो लाइन और ब्लू लाइन क्या है?
- येलो लाइन – इसे आर्थिक गलियारा कहा जा रहा है। इसका मकसद व्यापार को आसान और तेज करना है।
- ब्लू लाइन – यह वैकल्पिक गलियारा है, जो भूटान की उत्तरी सीमा को जोड़ता है। इससे रणनीतिक और सुरक्षा लाभ भी मिलेगा।
भारत और भूटान दोनों को कैसे होगा फायदा?
- भूटान के लिए: पर्यटन, निवेश और आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। गेलेफू को “माइंडफुलनेस सिटी” यानी शांत और आधुनिक शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी।
- भारत के लिए: उत्तर-पूर्व और पूर्वी भारत के राज्यों में व्यापार और कनेक्टिविटी आसान होगी। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और दोनों देशों की सीमावर्ती अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होंगी।
बड़े संदेश क्या हैं?
- भरोसे पर बनी साझेदारी – यह प्रोजेक्ट दिखाता है कि भारत सिर्फ पड़ोसी नहीं, बल्कि भूटान का सबसे बड़ा सहयोगी है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर से रिश्ते मजबूत – सड़क और पावर प्रोजेक्ट्स के बाद अब रेल लाइन दोनों देशों की कनेक्टिविटी को नए स्तर पर ले जाएगी।
- आर्थिक और रणनीतिक बढ़त – रेल लाइन से न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि सीमाई इलाकों की सुरक्षा और सहयोग भी बेहतर होगा।
दोस्ती की पटरियों पर भारत-भूटान
भारत-भूटान रेल प्रोजेक्ट केवल ट्रेनों की आवाजाही भर नहीं है। यह उन पटरियों की शुरुआत है, जिन पर दोनों देशों की दोस्ती और विकास साथ-साथ दौड़ेगा। आने वाले वर्षों में जब ट्रेन भूटान की धरती पर गूंजेगी, तो यह सिर्फ लोगों और सामान को नहीं, बल्कि भारत और भूटान के दिलों को भी और करीब लाएगी।