UP में सस्ते होंगे घी–मक्खन, लेकिन GST की मार से परेशान व्यापारी! सरकार कैसे बनाएगी संतुलन?

0
28

उत्तर प्रदेश में आम जनता के लिए राहत की खबर है। प्रदेश सरकार ने पराग ब्रांड के घी और मक्खन के दाम घटाने का ऐलान किया है। पशुधन व दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी सुधार के चलते प्रदेश में पराग के उत्पाद अब पहले से सस्ते मिलेंगे।

मक्खन और घी के दाम में कटौती

मंत्री धर्मपाल सिंह ने जानकारी दी कि पहले पराग का 100 ग्राम मक्खन 58 रुपये में मिलता था, जो अब 54 रुपये में उपलब्ध होगा। इसी तरह 500 ग्राम पैक की कीमत 285 रुपये से घटाकर 265 रुपये कर दी गई है। उन्होंने बताया कि घी के दामों में भी इसी प्रकार कमी आई है। नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले से प्रदेश के उपभोक्ताओं और दुग्ध उत्पादकों दोनों को फायदा होगा। साथ ही प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन, प्रोसेसिंग और प्रबंधन के क्षेत्र में पूरे देश का नेतृत्वकर्ता राज्य बने।

जीएसटी की खामियों पर व्यापारियों का ज्ञापन

इसी बीच, जीएसटी 2.0 से जुड़ी समस्याओं को लेकर व्यापारी संगठनों ने भी अपनी आवाज उठाई। लखनऊ व्यापार मंडल की ओर से प्रमुख सचिव (राज्यकर) एम. देवराज को एक ज्ञापन सौंपा गया। व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि जीएसटी सुधार से राहत जरूर मिली है, लेकिन कई तकनीकी दिक्कतें अब भी बनी हुई हैं। व्यापारियों की मांग है कि “एक व्यापार–एक कर” व्यवस्था लागू हो, आईटीसी का ऑटो रिफंड दिया जाए और प्रक्रिया सरल बनाई जाए।

व्यापारियों की अन्य मांगें

वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा ने नियमों में बार-बार बदलाव रोकने की मांग उठाई। महामंत्री जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि स्टेशनरी पर कर की दरों में विसंगतियां बनी हुई हैं। कागज पर 12 से 18 प्रतिशत कर लगाया गया है, जबकि उसी कागज से बनी किताब पर जीरो प्रतिशत कर है। इसी तरह बच्चों के स्कूल बैग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारियों को तकनीकी खामियों के कारण पेनाल्टी का बोझ झेलना पड़ रहा है। ऐसे मामलों में सत्यापन के नाम पर अनावश्यक उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।

आखिर कब सुलझेगा GST का पेंच?

एक तरफ सरकार उपभोक्ताओं को सस्ते दुग्ध उत्पाद देकर राहत देने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर व्यापारी संगठन जीएसटी की जटिलताओं से जूझ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार दोनों ही मोर्चों पर किस तरह संतुलन बना पाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here