उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बहुचर्चित प्रियदर्शनी-जानकीपुरम आवासीय योजना में भूखंड आवंटन घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। इस घोटाले में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव की मां और LDA की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट समेत 5 अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस ने FIR दर्ज कर ली है। करीब 9 साल की जांच के बाद यह कार्रवाई हुई है। शासन ने विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।
विजिलेंस जांच में 5 अफसर दोषी पाए गए
2016 से चल रही जांच में पाया गया कि तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट ने रजिस्ट्री और सेल डीड पर हस्ताक्षर किए थे।
- अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह पर कब्जा पत्र जारी करने का आरोप है।
- उपसचिव देवेंद्र सिंह राठौड़ ने आवंटन पत्र जारी किए।
- वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु और अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता पर फर्जी अभिलेख तैयार कर भूखंडों का गलत मूल्यांकन करने का आरोप है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी ने मिलकर स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ मिलीभगत कर आवंटन में गड़बड़ी की। सभी दस्तावेजों पर मौजूद हस्ताक्षरों की पुष्टि FSL जांच से भी हुई, जिसके बाद मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश जारी किया गया।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस
शासन ने इन पांचों अधिकारियों पर IPC की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत मुकदमा दर्ज करने और विवेचना शुरू करने का आदेश दिया है। अंबी बिष्ट LDA में संपत्ति अधिकारी रहने के बाद लखनऊ नगर निगम में कर अधिकारी भी रहीं। 30 सितंबर 2024 को वह रिटायर हुई थीं।
सियासत में हलचल, अपर्णा ने टाला सवाल
एफआईआर दर्ज होने के बाद यह मामला राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। अंबी बिष्ट, भाजपा नेता अपर्णा यादव की मां हैं। घोटाले पर जब मीडिया ने अपर्णा से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा – “नो कमेंट”। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी पर बयान देते हुए कहा कि “वोट चोरी किसने की है, यह कांग्रेस से पूछना चाहिए। बोफोर्स घोटाले की गूगल पर सर्च कर लीजिए।”
क्या है प्रियदर्शनी-जानकीपुरम योजना?
यह योजना लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की महत्वाकांक्षी आवासीय परियोजनाओं में से एक थी। इसे शहर के उत्तरी हिस्से में शुरू किया गया था ताकि लोगों को सस्ते दामों पर मकान मिल सकें। जांच में खुलासा हुआ कि योजना के कई भूखंडों और मकानों के आवंटन में नियमों की अनदेखी करते हुए फर्जी तरीके से कब्जा पत्र, आवंटन पत्र और रजिस्ट्री में हेरफेर की गई। प्रियदर्शनी योजना के सेक्टर-सी में एलडीए ने 308 आवासों का निर्माण कराया था, जिसमें 3BHK, 2BHK, LIG और EWS श्रेणी के मकान शामिल थे। इसके लिए वर्ष 2014-15 में लगभग 20 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी।
9 साल बाद बड़ी कार्रवाई
इस पूरे प्रकरण की जांच 2016 से चल रही थी। कई बार रिपोर्ट पेश हुईं, समीक्षा और मंजूरी के बाद अंततः 18 सितंबर 2025 को मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया गया।लखनऊ विजिलेंस थाने में दर्ज हुई FIR के बाद अब इस मामले में कानूनी कार्रवाई तेज हो गई है।