मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा उमर अंसारी 27 दिन बाद जेल से बाहर आएगा। शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी हस्ताक्षर के मामले में उसे जमानत दे दी। उमर इस समय कासगंज जेल में बंद है। पुलिस ने उसे 3 अगस्त को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उमर को पहले गाजीपुर जेल में रखा गया, लेकिन 23 अगस्त को अचानक सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उसे कासगंज शिफ्ट कर दिया गया। करीब 673 किलोमीटर की दूरी 11 घंटे में तय करने के बाद वह कासगंज जेल पहुंचा। उस वक्त जेल वैन से ही उमर ने मीडिया से कहा था – “मुझ पर झूठा केस लगाया गया है।”
मामला क्या है?
यह केस मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा है। इस मामले में पुलिस ने करीब 10 करोड़ की संपत्ति कुर्क की थी। प्रॉपर्टी छुड़ाने के लिए कोर्ट में अपील दायर की गई।
अदालत में दाखिल इस अपील पर शंका तब गहराई, जब दस्तावेज़ों पर मुख्तार की पत्नी अफसा अंसारी के हस्ताक्षर संदिग्ध पाए गए।
शासकीय अधिवक्ता ने जांच रिपोर्ट में कहा कि:
- अफसा अंसारी पर इस समय 1 लाख रुपए का इनाम है।
- गाजीपुर और मऊ पुलिस ने उस पर 50-50 हजार का इनाम घोषित किया है।
- उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है।
ऐसे में अदालत में सीधे अफसा के दस्तावेज़ दाखिल होना संदेहास्पद माना गया। इसके बाद थाना मुहम्मदाबाद में उमर अंसारी और वकील लियाकत अली के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
कोर्ट की कार्रवाई
- 3 अगस्त को उमर अंसारी को लखनऊ से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
- परिवार ने उमर और वकील लियाकत अली की जमानत के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं।
- 21 अगस्त को कोर्ट ने उमर की और 22 अगस्त को लियाकत अली की जमानत खारिज कर दी थी।
- अब हाईकोर्ट से उमर को राहत मिल गई, हालांकि वकील लियाकत अली अब भी गिरफ्तारी से बचा हुआ है।
बड़ा भाई अब्बास को भी मिली राहत
इससे 10 दिन पहले उमर के बड़े भाई और सपा विधायक अब्बास अंसारी को भी बड़ी राहत मिली थी।
- 20 अगस्त को हाईकोर्ट ने उनकी सदस्यता रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी थी।
- मऊ की MP/MLA कोर्ट ने उन्हें हेट स्पीच केस में 2 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने उनकी सीट रिक्त कर दी थी।
अब्बास पर आरोप था कि उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में कहा था – “सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी, पहले हिसाब-किताब होगा।” मुख्तार अंसारी परिवार को पिछले कुछ दिनों में दो बड़ी राहतें मिली हैं—पहले बड़े बेटे अब्बास की विधायकी बहाल हुई और अब छोटे बेटे उमर को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। हालांकि, उमर जिस केस में आरोपी हैं, वह अभी अदालत में विचाराधीन है।