तेजस्वी को क्यों सता रहा 1% वोट वाला डर ?

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इस बार बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी राजनीति का अहम मुद्दा बन गया है वोटर लिस्ट जिसके विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी बवाल मचा है, बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने इलेक्शन कमीशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दअरसल, बिहार की वोटर लिस्ट में इस वक्त कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता हैं, लेकिन चुनावी तैयारी के तहत लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण और सत्यापन चल रहा है, अगर इस प्रक्रिया में एक फीसदी भी मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो जाते हैं, तो यह संख्या 7 लाख 90 हजार तक पहुंच जाएगी और यह आंकड़ा सीधे तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है।

बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं, औसतन, हर सीट पर 3251 मतदाता होते हैं, अब अगर एक फीसदी वोटर लिस्ट से नाम कटते हैं, तो इसका सीधा असर उन सीटों पर होगा, जिन पर जीत-हार का अंतर बेहद कम होता है, बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव, यानी 2020 में, सूबे की 40 सीटों पर जीत-हार का फैसला महज 3500 वोट से कम के अंतर से हुआ था, काफी सीटों पर तो नतीजे हजार वोट से भी कम वोट के अंतर से निकले थे अब अगर वोटर लिस्ट से एक फीसदी मतदाताओं के नाम कटते हैं, तो यह फर्क और भी बढ़ सकता है, विपक्ष के लिए इस बदलाव को लेकर सबसे ज्यादा चिंता उन सीटों को लेकर है, जो बेहद करीबी लड़ाई वाली हैं करीब दर्जन भर सीटों पर तो नतीजे हजार वोट से भी कम वोट के अंतर से तय हुए थे।

इसके अलावा, करीब पांच दर्जन सीटें ऐसी थीं, जिन पर जीत-हार का अंतर लगभग पांच हजार वोट था। इसलिए, अगर एक फीसदी वोट कटते हैं या जुड़ते हैं, तो ये चुनावी परिणामों पर बड़ा असर डाल सकते हैं और यही कारण है कि बिहार की राजनीतिक दलों की चिंता अब और बढ़ गई है विशेष रूप से तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ गई है तो अब सवाल यह उठता है कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव में एक फीसदी वोट कटने से नतीजों में कोई बड़ा बदलाव आएगा? इस सवाल का जवाब चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। राजनीतिक दल इस बदलाव को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं और आगामी चुनावों में इसकी अहमियत बढ़ सकती है।

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