झारखंड का खौफ खत्म: 10 लाख का इनामी नक्सली पप्पू लोहरा मुठभेड़ में ढेर

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Pappu Lohra

लातेहार एनकाउंटर में बड़ा नक्सली सरगना मारा गया, राज्य की नक्सली गतिविधियों को तगड़ा झटका लातेहार जिले के इचाबार इलाके में शुक्रवार देर रात सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) का कुख्यात कमांडर पप्पू लोहरा मार गिराया गया। इस मुठभेड़ में उसका एक करीबी सहयोगी प्रभात भी ढेर हो गया। यह कार्रवाई झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के संयुक्त ऑपरेशन के तहत अंजाम दी गई।

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पप्पू लोहरा झारखंड में नक्सली गतिविधियों का एक बड़ा चेहरा था। वह पिछले डेढ़ दशक से पलामू, लातेहार, गढ़वा और लोहरदगा जैसे इलाकों में दर्जनों नक्सली हमलों, सरकारी संपत्तियों के नुकसान और आम नागरिकों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार रहा है।

कैसे बना माओवादी से उग्रवादी सरगना

पप्पू लोहरा ने अपनी शुरुआत माओवादियों के 42 नंबर प्लाटून के कमांडर के रूप में की थी और कुजरूम, गारू से लेकर पेशरार तक के जंगलों में सक्रिय रहा। वर्ष 2009-10 में उस पर संगठन के भीतर अनुशासनहीनता और गड़बड़ी के आरोप लगे, जिसके बाद माओवादी जनअदालत में उसे मौत की सज़ा सुनाई जानी थी। लेकिन उससे पहले ही वह फरार हो गया और झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) से जुड़ गया।

माओवादियों पर ही किया हमला, कब्जा किए कई ठिकाने

जेजेएमपी में शामिल होने के बाद पप्पू ने माओवादियों की गतिविधियों और ठिकानों की पूरी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए कई अड्डों और हथियारों पर कब्जा जमा लिया। बूढ़ा पहाड़, गढ़वा, लातेहार, गुमला और लोहरदगा जैसे इलाकों में माओवादियों और टीएसपीसी के खिलाफ कई हमलों में उसकी भूमिका रही।

लेवी वसूली से करोड़ों की कमाई, बना खौफ का दूसरा नाम

पप्पू लोहरा लेवी के नाम पर कारोबारी, ठेकेदार और आम लोगों से करोड़ों की वसूली करता था। उसने कई बार लेवी न मिलने पर जानलेवा हमले भी किए। झारखंड के जंगलों में उसका नाम ही काफी था लोगों को डराने के लिए।

बार-बार बचता रहा, लेकिन इस बार अंत हो गया

पिछले कई सालों से पप्पू लोहरा पुलिस और सुरक्षाबलों के रडार पर था। कई बार वह एनकाउंटर से बाल-बाल बच निकला, लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया। लातेहार के इचाबार जंगलों में चली गोलियों की आवाज के साथ उसके खौफ का हमेशा के लिए अंत हो गया।

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