उत्तर प्रदेश में 363 हाई रिस्क कॉरिडोर चिन्हित, जनवरी को मनाया जाएगा ‘जीरो फेटेलिटी माह’

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को पूरी तरह रोकने के उद्देश्य से बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के तहत परिवहन विभाग और पुलिस विभाग ने संयुक्त रूप से 1 से 31 जनवरी तक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह को ‘जीरो फेटेलिटी माह’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि सड़क हादसों में एक भी यात्री की जान न जाए और इस विशेष अभियान के सकारात्मक परिणाम जनवरी-2026 तक सामने आएं।

इस पहल को सफल बनाने के लिए प्रदेशभर में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की गहन पहचान की गई है। पुलिस और परिवहन विभाग ने मिलकर उत्तर प्रदेश में 363 हाई रिस्क कॉरिडोर चिन्हित किए हैं, जहां विशेष निगरानी और सख्त प्रवर्तन किया जाएगा। इसके साथ ही जीरो फेटेलिटी डिस्ट्रिक्ट योजना के अंतर्गत 20 जनपदों का चयन किया गया है, जिनमें 233 क्रिटिकल पुलिस थाना क्षेत्रों को चिह्नित कर लक्षित अभियान चलाया जाएगा ताकि दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।

सड़क सुरक्षा को लेकर प्रवर्तन की दिशा में भी सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। शराब पीकर वाहन चलाने, ओवरस्पीडिंग, लेन उल्लंघन, गलत दिशा में वाहन चलाने, हेलमेट और सीट-बेल्ट न पहनने, रिफ्लेक्टर टेप और फॉग लाइट के अभाव तथा बिना परमिट व बिना फिटनेस संचालित वाहनों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जनवरी माह में प्रदेशव्यापी स्तर पर “नो हेलमेट, नो फ्यूल” अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार को लेकर लोक निर्माण विभाग और अन्य एजेंसियों को 1484 चिन्हित ब्लैक स्पॉट्स पर रोड मार्किंग, साइनेज और क्रैश बैरियर लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि दुर्घटनाओं की संभावनाओं को कम किया जा सके। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने सड़क दुर्घटनाओं के बाद त्वरित सहायता सुनिश्चित करने के लिए इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल को मजबूत करने, एएलएस एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने और ट्रॉमा केयर सेंटर्स को सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया है।

साथ ही जनभागीदारी को मजबूत करने के लिए पंचायती राज विभाग हर ग्राम सभा में सड़क सुरक्षा से संबंधित बैठकों का आयोजन करेगा। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में चित्रकला, भाषण और नाटक प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा, ताकि कम उम्र से ही सुरक्षित यातायात की संस्कृति विकसित हो सके।

सरकार का मानना है कि सभी संबंधित विभागों और समाज की साझा भागीदारी से उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रभावी और अनुकरणीय मॉडल के रूप में उभर सकता है, जिससे भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी।

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