
नई दिल्ली।
स्क्वैश वर्ल्ड कप में भारत ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। दुनिया की सबसे मजबूत और प्रभावशाली स्क्वैश टीम मानी जाने वाली मिस्र को सेमीफाइनल में हराकर भारतीय टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रवेश किया है। यह जीत सिर्फ एक मुकाबले की जीत नहीं, बल्कि भारतीय स्क्वैश के बदलते दौर और बढ़ती वैश्विक पहचान का प्रतीक है।
मिस्र: स्क्वैश की महाशक्ति
स्क्वैश की दुनिया में मिस्र का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। पिछले कई वर्षों से मिस्र के खिलाड़ी विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर रहे हैं और वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंटों में उनकी निरंतर सफलता ने उन्हें इस खेल का सबसे बड़ा पावरहाउस बना दिया है। ऐसे में भारत का मिस्र को हराना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
- रणनीति और मानसिक मजबूती बनी जीत की कुंजी
इस मुकाबले में भारत की सबसे बड़ी ताकत रही उसकी रणनीतिक तैयारी और मानसिक मजबूती। भारतीय खिलाड़ियों ने केवल ताकत के भरोसे नहीं, बल्कि स्मार्ट शॉट चयन, लंबी रैलियों में धैर्य और निर्णायक पलों में आक्रामक खेल दिखाया।
मिस्र की तेज़ गति और आक्रामक शैली के सामने भारत ने संतुलन बनाकर खेला और हर अंक के लिए संघर्ष किया।
- दबाव में भी नहीं टूटा भारत
मैच के दौरान कई ऐसे मौके आए जब मिस्र वापसी की कोशिश करता नजर आया, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने दबाव को खुद पर हावी नहीं होने दिया। यही वह अंतर रहा जिसने इस मुकाबले को भारत के पक्ष में मोड़ दिया।
यह जीत दर्शाती है कि भारतीय स्क्वैश अब केवल प्रतिभा तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से भी विश्वस्तरीय बन चुका है।
- भारतीय स्क्वैश के लिए ऐतिहासिक मोड़
भारत का वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचना भारतीय स्क्वैश के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी और देश में इस खेल को नई पहचान दिलाएगी।
साथ ही यह जीत खेल प्रशासन, कोचिंग सिस्टम और खिलाड़ियों की मेहनत का संयुक्त परिणाम भी है।
फाइनल की ओर नजरें
अब भारत की नजरें वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले पर टिकी हैं। जहां एक ओर खिताब जीतने का दबाव होगा, वहीं दूसरी ओर इतिहास रचने का सुनहरा मौका भी। अगर टीम इंडिया इसी आत्मविश्वास और रणनीति के साथ खेलती है, तो वह खिताब जीतने की प्रबल दावेदार बनकर उभरेगी।
निष्कर्ष
मिस्र को हराकर फाइनल में पहुंचना भारतीय स्क्वैश के लिए केवल एक जीत नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत मौजूदगी का ऐलान है। यह जीत बताती है कि भारतीय खेल अब पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़कर नए इतिहास रचने को तैयार हैं।





