उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी (सपा) और इसके नेता अखिलेश यादव पर दलित विरोधी मानसिकता का गंभीर आरोप लगाया है। चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 2012-17 की सपा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 78 एआरओ अभ्यर्थियों की नियुक्ति रोके जाने का मामला उठाया है। उन्होंने इसे दलितों के प्रति सपा की द्वेषपूर्ण सोच का सबूत बताया और सीएम योगी से पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने की मांग की है। यह मामला सपा की दलित विरोधी छवि को और मजबूत करता है, खासकर तब जब पहले भी सपा की यूथ विंग ने बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा को अपमानित करने का कृत्य किया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए दलित अभ्यर्थियों को न्याय देने की मांग की है। सपा पर दलित विरोधी मानसिकता का आरोप लगाकर चंद्रशेखर आजाद ने अपने पत्र में खुलासा किया कि 2012 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा वैधानिक रूप से चयनित 78 एससी/एसटी अभ्यर्थियों को सपा सरकार ने सचिवालय के एआरओ पदों पर नियुक्ति नहीं दी। उन्होंने इसे सपा की दलित विरोधी मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण बताया। चंद्रशेखर के अनुसार, इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखने के लिए सपा सरकार ने संवैधानिक नियमों और कानूनों का खुला उल्लंघन किया, जिससे दलित समुदाय के प्रति उनकी द्वेषपूर्ण सोच उजागर होती है।
सपा के कारण दर-दर की ठोकरें खा रहे दलित युवा
चंद्रशेखर ने पत्र में लिखा कि सपा सरकार की इस कार्रवाई से प्रभावित 78 अभ्यर्थी पिछले एक दशक से अधिक समय से न्याय की आस में भटक रहे हैं। इनमें से कुछ अभ्यर्थी अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने इसे भारत के इतिहास में पहला ऐसा मामला बताया, जहां लोक सेवा आयोग द्वारा विधिवत चयन और संस्तुति के बाद भी अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखा गया। यह सपा सरकार के दलित विरोधी रवैये का जीता-जागता उदाहरण है।
संवैधानिक नियमों का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर ने अपने पत्र में सपा सरकार पर नियुक्ति संबंधी नियमों को ताक पर रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा ने जानबूझकर इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया। यह कृत्य न केवल दलित समुदाय के प्रति सपा की उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि संवैधानिक प्रावधानों के प्रति उनकी अवहेलना को भी उजागर करता है। चंद्रशेखर ने इसे दलितों के अधिकारों का हनन बताया।
दलित अभ्यर्थियों के लिए योगी को माना उम्मीद की किरण
चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करने और पीड़ित एससी/एसटी अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने की अपील की है। उन्होंने मांग की कि इन अभ्यर्थियों को तत्काल नियुक्ति आदेश जारी किए जाएं। चंद्रशेखर का यह पत्र न केवल सपा की दलित विरोधी नीतियों को उजागर करता है, बल्कि योगी सरकार से दलित समुदाय के हित में ठोस कदम उठाने की उम्मीद भी जगाता है। बार-बार दलितों का अपमान कर रही सपा चंद्रशेखर ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सपा बार-बार दलित समुदाय के प्रति अपनी संकीर्ण मानसिकता का प्रदर्शन करती रही है। सपा की दलित विरोधी छवि कोई नई बात नहीं है। इससे पहले सपा की यूथ विंग, समाजवादी लोहिया वाहिनी, ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को खंडित कर उस पर अखिलेश यादव का चेहरा लगाने का शर्मनाक कृत्य किया था। इस घटना के खिलाफ एससी/एसटी आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए एफआईआर दर्ज की थी।