कन्नौज में 3 लाख फर्जी वोट कटने का दावा: सुब्रत पाठक के बयान पर अखिलेश यादव का तीखा पलटवार

कन्नौज में वोटर लिस्ट विवाद को लेकर बयान देते सुब्रत पाठक और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, यूपी की राजनीति में बढ़ता सियासी टकराव।

News Content
उत्तर प्रदेश की सियासत में वोटर लिस्ट को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता नजर आ रहा है। कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक के एक बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सुब्रत पाठक ने दावा किया है कि कन्नौज की तीन विधानसभा सीटों में करीब 3 लाख वोट फर्जी हैं, जिन्हें विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत हटाया जाएगा।

सुब्रत पाठक का आरोप है कि ये वोट या तो ऐसे लोगों के हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, या फिर वे क्षेत्र छोड़कर जा चुके हैं। उनका कहना है कि ये सभी फर्जी वोट समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं और सत्यापन अभियान के दौरान इन्हें काट दिया जाएगा। पाठक के इस दावे को विपक्ष ने बेहद आपत्तिजनक बताया है।

इस बयान पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ा पलटवार किया है। अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह के बयान चुनाव आयोग की निष्पक्षता को चुनौती देने वाले हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सुब्रत पाठक “काले कारनामों का चश्मा पहनकर” बयान दे रहे हैं और उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व से फटकार के लिए तैयार रहना चाहिए।

SIR अभियान को लेकर सीएम योगी की रणनीति


जहां एक ओर सुब्रत पाठक SIR अभियान को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर और सतर्क नजर आ रहे हैं। प्रदेश में बड़े पैमाने पर पलायन को देखते हुए बीजेपी को आशंका है कि कहीं सत्यापन के दौरान उसके वास्तविक मतदाता सूची से बाहर न हो जाएं।

इसी को लेकर मुख्यमंत्री योगी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि वे बूथ स्तर पर जाकर डुप्लीकेट और संदिग्ध वोटरों की पहचान करें और अपने समर्थक मतदाताओं के वोट सुरक्षित रखें। बीजेपी का मानना है कि अगर सत्यापन में लापरवाही हुई, तो आगामी चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी नेताओं का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि बिहार के चुनावी अनुभव से यह साफ हुआ है कि सही वेरिफिकेशन से पार्टी को फायदा मिल सकता है।

यूपी की राजनीति में बढ़ा घमासान
वोटों की छंटनी और नेताओं के बयानों को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिलहाल घमासान की स्थिति बनी हुई है। कन्नौज से शुरू हुआ यह विवाद अब राज्यव्यापी सियासी बहस का मुद्दा बन गया है, जहां एक ओर सत्ता पक्ष सत्यापन अभियान को जरूरी बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा कदम करार दे रहा है।

[acf_sponsor]