बीते दिनों निरस्त हुई इंडिगो की उड़ानों को लेकर यात्रियों के लिए राहत की खबर है। इंडिगो ने शुक्रवार से टिकट रिफंड की प्रक्रिया शुरू कर दी है। खास बात यह है कि रिफंड के साथ-साथ यात्रियों को बोनस कूपन भी दिया जाएगा। यात्री इंडिगो की आधिकारिक वेबसाइट www.goindigo.in पर जाकर रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए PNR नंबर और लास्ट नेम दर्ज करना होगा। आवेदन के बाद यात्री इसी वेबसाइट पर अपने रिफंड की स्थिति भी जांच सकते हैं।
यदि रिफंड प्रक्रिया में किसी तरह की परेशानी आती है तो यात्री सोशल मीडिया (X): @Indigo6E पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, जिन यात्रियों ने टिकट ट्रैवल एजेंट के माध्यम से बुक कराए हैं, वे एजेंट की मदद से भी रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर: 0124-6173838, 0124-4973838 भी जारी किये गए हैं।
इसी बीच इंडिगो से जुड़ा एक अहम कानूनी मामला भी सामने आया है। एयरलाइन ने अपनी याचिका में कहा है कि मरम्मत के बाद विमान इंजनों और पुर्जों के पुनः आयात पर सीमा शुल्क लगाना असंवैधानिक है और यह एक ही लेन-देन पर दोहरे कराधान के समान है। इंडिगो के वकील के अनुसार, कंपनी ने मरम्मत के बाद पुनः आयात पर पहले ही मूल सीमा शुल्क का भुगतान कर दिया था। साथ ही, मरम्मत को सेवा मानते हुए रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी भी अदा किया गया था। इसके बावजूद सीमा शुल्क अधिकारियों ने उसी लेन-देन को माल का आयात मानते हुए दोबारा शुल्क लगाने पर जोर दिया। एयरलाइन का दावा है कि यह मुद्दा पहले ही सीमा शुल्क न्यायाधिकरण द्वारा सुलझाया जा चुका है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि मरम्मत के बाद पुनः आयात पर दोबारा शुल्क नहीं लगाया जा सकता। इंडिगो ने बताया कि उसने 4,000 से अधिक बिल ऑफ एंट्री पर 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि विरोध जताते हुए जमा की है। फिलहाल, एक ओर यात्रियों को रिफंड और बोनस कूपन से राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर इंडिगो और सीमा शुल्क विभाग के बीच कर को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है। जो यात्री ट्रैवल एजेंट के जरिए टिकट बुक कराते हैं, वे एजेंट की मदद से भी रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसी बीच इंडिगो से जुड़ा एक बड़ा कानूनी मामला भी सामने आया है। एयरलाइन ने अपनी याचिका में कहा है कि मरम्मत के बाद विमान इंजनों और पुर्जों के पुनः आयात पर सीमा शुल्क लगाना असंवैधानिक है और यह एक ही लेन-देन पर दोहरे कराधान के बराबर है। इंडिगो के वकील का कहना है कि कंपनी ने मरम्मत के बाद पुनः आयात पर पहले ही मूल सीमा शुल्क अदा कर दिया था। साथ ही, चूंकि मरम्मत एक सेवा है, इसलिए उस पर रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी भी चुका दिया गया था। इसके बावजूद सीमा शुल्क अधिकारियों ने उसी लेन-देन को माल का आयात मानते हुए दोबारा शुल्क लगाने पर जोर दिया।
एयरलाइन का दावा है कि यह मुद्दा पहले ही सीमा शुल्क न्यायाधिकरण द्वारा सुलझाया जा चुका है, जिसमें साफ कहा गया था कि मरम्मत के बाद पुनः आयात पर दोबारा शुल्क नहीं लगाया जा सकता। इंडिगो का यह भी कहना है कि बाद में छूट अधिसूचना में जो संशोधन हुआ, वह भविष्य में लागू होने वाला था, न कि पुराने मामलों पर। एयरलाइन ने बताया कि उसने 4,000 से ज्यादा बिल ऑफ एंट्री पर 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विरोध जताते हुए जमा की है। यानी एक तरफ यात्रियों को रिफंड और बोनस कूपन से राहत, तो दूसरी तरफ इंडिगो और सीमा शुल्क विभाग के बीच कर को लेकर बड़ी कानूनी लड़ाई।




