PM नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय भूटान यात्रा क्यों रही यादगार, विस्तार से जानें

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चित्र : भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री टोबगे, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान से विदा करते हुए।

नई दिल्ली/थिंम्फू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भूटान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा संपन्न की। इस दौरान उन्होंने थिम्पू को विकास के लिए नई दिल्ली के दृढ़ समर्थन का आश्वासन दिया और अगले पांच वर्षों में इस हिमालयी राष्ट्र को 10,000 करोड़ रुपये प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की।

शनिवार की सुबह मोदी ने अपने भूटानी समकक्ष शेरिंग तोबगे के साथ थिम्पू में महिलाओं और बच्चों के लिए भारतीय सहायता से निर्मित एक आधुनिक अस्पताल का उद्घाटन किया। एक विशेष सद्भावना प्रदर्शन के तहत भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री तोबगे प्रधानमंत्री मोदी को विदा करने के लिए पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उपस्थित थे।

मोदी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि मैं भूटान के राजा महामहिम जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक द्वारा दिल्ली के लिए रवाना होते समय हवाई अड्डे पर आने के विशेष सम्मान से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह भूटान की एक बहुत ही खास यात्रा रही है। मुझे महामहिम राजा, प्रधानमंत्री @tsheringtobgay और भूटान के अन्य प्रतिष्ठित लोगों से मिलने का अवसर मिला। हमारी बातचीत भारत-भूटान मित्रता को और भी अधिक मजबूती प्रदान करेगी।

मैं ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित होने के लिए भी आभारी हूं। मैं भूटान के अद्भुत लोगों को उनकी गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए बहुत आभारी हूं। भारत हमेशा भूटान के लिए एक विश्वसनीय मित्र और साझेदार रहेगा।

तो वहीं, भूटान के प्रधानमंत्री टोबगे ने एक्स पर लिखा कि हमारे यहां आने के लिए मेरे भाई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का बहुत-बहुत धन्यवाद। न तो उनका व्यस्त कार्यक्रम और न ही खराब मौसम उन्हें हमसे मिलने के अपने वादे को पूरा करने से रोक सका। यह #मोदीकीगारंटी की घटना ही होगी!

इस यात्रा के दौरान मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ सम्मान से सम्मानित किया गया।शुक्रवार को उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया, जिससे वह यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष बन गए। यह पुरस्कार भारत-भूटान मैत्री को मजबूत करने में मोदी के योगदान तथा उनके जन-केंद्रित नेतृत्व को मान्यता देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भूटानी सरकार की 13वीं पंचवर्षीय योजना (एफवाईपी) के बारे में भी बात की और कहा, ‘हमारा पूर्ण समर्थन और सहयोग रहेगा’।

उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में भारत सरकार इस दिशा में 10,000 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान करेगी।’ मोदी ने भूटान के राजा वांगचुक से मुलाकात की और प्रधानमंत्री टोबगे के साथ बातचीत की। उन्होंने अपने भूटानी समकक्ष के साथ बैठक के बारे में लिखा कि भूटान में प्रधानमंत्री @tsheringtobgay के साथ सार्थक बातचीत हुई।

हमने भारत-भूटान मित्रता के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की और अपनी विकास साझेदारी को बढ़ाने तथा सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने पर सहमति जताई है। इस महीने मोदी की अपने भूटानी समकक्ष के साथ यह दूसरी बैठक थी।

टोबगे ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली का दौरा किया था, जो जनवरी में शीर्ष पद का कार्यभार संभालने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा थी। दोनों देशों ने ऊर्जा, व्यापार, डिजिटल कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष और कृषि के क्षेत्र में कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया और समझौतों पर हस्ताक्षर किए तथा दोनों देशों के बीच रेल संपर्क स्थापित करने पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि भारत और भूटान के बीच दोस्ती के अनुकरणीय संबंध दोनों भागीदारों और क्षेत्र के लिए ताकत का स्रोत हैं। यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे और असाधारण द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के अपने संकल्प की फिर से पुष्टि की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत भूटान के उच्च आय वाले राष्ट्र बनने के प्रयास में उसके साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा यह भूटान की जनता और शाही सरकार की प्राथमिकता है।

मोदी ने भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से भी मुलाकात की। भूटान के चतुर्थ नरेश ने प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री ने भारत-भूटान संबंधों को मजबूत बनाने में उनके नेतृत्व, दूरदर्शिता और योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

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