अरविंद केजरीवाल दिल्ली सीएम बने रहेंगे, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की PIL

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चित्र : दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल।

नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली PIL को दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया। तो वहीं, दिल्ली की राऊज एवेन्यू अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हिरासत रिमांड को 7 दिन बढ़ाने की मांग वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

अरविंद केजरीवाल की ED रिमांड बढ़ाने को लेकर कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा गया है। ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 7 दिन के रिमांड मांगी थी। लेकिन अरविंद केजरीवाल को 1 अप्रैल तक ED कस्टडी में भेजा गया है। यानी 4 दिन की रिमांड बढ़ाई गई है।

इस दौरान, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये एक राजनीतिक षड्यंत्र, जनता इसका जवाब देगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अदालत में पहली बार खुद अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मुझे 4 लोगों के बयान के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया।

केजरीवाल ने सवाल उठाया कि जब तक बयान उनके खिलाफ नहीं गए तब तक रिकॉर्ड पर नहीं ले गए और जैसे ही बयान उनके खिलाफ गए ED ने रिकॉर्ड पर लिए। दिल्ली सीएम ने यह भी कहा कि शरथ रेड्डी से BJP ने इलेक्टोरल बांड के ज़रिए 55 करोड रुपए लिए और रेड्डी को छोड़ दिया। एक तरफ बीजेपी ने पैसे की उगाही की और दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को खत्म करने का षड्यंत्र रचा गया।

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई पर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के वकील रमेश गुप्ता ने कहा, ‘केजरीवाल ने स्वीकार किया कि वह सहयोग करने के लिए तैयार हैं और उन्हें हिरासत में रहने पर कोई आपत्ति नहीं है। हमने अदालत से कहा कि हम उन आधारों का विरोध करते हैं जिन पर रिमांड की मांग की जा रही है। अदालत अब रिमांड देगी क्योंकि उन्होंने अदालत के समक्ष स्वीकार कर लिया है।’

तो वहीं, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि जो संविधान और कानून की व्याख्या हैं वो सामने आ रही हैं क्योंकि अरविंद केजरीवाल के पास अगर नैतिकता होती तो वे इस्तीफा दे देते.. अगर उन्हें (अरविंद केजरीवाल) इसमें राजनीति दिख रही है तो हाईकोर्ट के जिन न्यायाधीशों ने उनकी फाइल देखी क्या वो भी राजनीति कर रहे हैं?

बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने इस पूरे मामले में कहा है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचारी और लूटेरे तो बन ही गए हैं लेकिन अब वे मानसिक दिवालियापन की कगार पर भी हैं। क्या वे (अरविंद केजरीवाल) न्यायाधीश को राजनीतिक कहना चाहते हैं?

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