बोरवेल में फंसे बच्चे की मौत, 45 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

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चित्र : 6 साथ के मयंक आदिवासी का शव।

रीवा। 6 साल का मयंक अब इस दुनिया में नहीं है। एडिशनल SP विवेक लाल सिंह ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि NDRF, पुलिस, स्थानीय टीम, लोग और स्थानीय प्रशासन ने करीब 45 घंटे तक कड़ी मेहनत की, लेकिन हम उसकी जान नहीं बचा सके।

बता दें कि शुक्रवार रात भर मध्य प्रदेश के रीवा जिले में खुले बोरवेल में गिरे छह वर्षीय बच्चे तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन 45 घंटे बाद भी उन्हें बच्चे की एक झलक नहीं मिली और न ही उसकी आवाज सुनाई दी

मिशन की असफलता का बड़ा कारण बेमौसम बारिश के अलावा, बचाव कार्य को जटिल बनाने वाली बात यह है कि बोरवेल ‘कच्चा’ है। दीवारें सीमेंटेड नहीं थी, इसलिए मिट्टी गिरती रहती है, खासकर जब बारिश होती है।

वाराणसी (185 किमी दूर) से एक एनडीआरएफ टीम शनिवार को लगभग 1 बजे पहुंची और एसडीईआरएफ टीम की सहायता से बचाव अभियान का नेतृत्व कर रही है। बचावकर्मियों ने बचाव सुरंग को बोरवेल से जोड़ने के लिए 12 फीट की खाई खोदी, लेकिन संरेखण समस्या के कारण इसे जोड़ा नहीं जा सका।

रीवा के एसपी विवेक सिंह ने शनिवार रात को मीडिया को बताया कि हम क्षैतिज कनेक्टिंग सुरंग को फिर से संरेखित कर रहे हैं। वो और कलेक्टर प्रतिभा पाल शुक्रवार रात से ही बचाव की निगरानी के लिए मौके पर हैं। मनिका गांव में घटनास्थल के आसपास बड़ी संख्या में आदिवासी ग्रामीण मौजूद रहे।

मौके पर त्योंथर से बीजेपी विधायक सिद्धार्थ तिवारी भी मौजूद रहे। एमपी के सीएम मोहन यादव भी लगातार अपडेट लेते रहे। लेकिन बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

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