चित्र : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।
कोलकाता। रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में बीते दिनों दो प्रमुख आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। जिनका पता बेंगलुरु से बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले तक लगाया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ही राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक वाकयुद्ध शुरू कर दिया है।
बंगाल के कूच बिहार के दिनहाटा में एक चुनावी रैली में सीएम ममता बनर्जी ने उन आरोपों पर पलटवार किया कि उनके शासन में राज्य ‘आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह’ बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की घोर आलोचक ममता बनर्जी ने कहा, ‘गिरफ्तार किए गए लोग बंगाल के निवासी नहीं हैं। वे यहां छिपे हुए थे। उन्हें दो घंटे में गिरफ्तार कर लिया गया।’
तृणमूल प्रमुख ने गुस्से में कहा, ‘अगर बंगाल में शांति हो तो बीजेपी इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती।’ उन्होंने सभा में पूछा, ‘क्या उत्तर प्रदेश सुरक्षित है? क्या राजस्थान सुरक्षित है? क्या बिहार सुरक्षित है?’
तो वहीं, वरिष्ठ तृणमूल नेता कुणाल घोष ने भी बीजेपी के हमलों पर पलटवार करते हुए कहा कि गिरफ्तार करने वाली एजेंसी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी या एनआईए को राज्य पुलिस का सक्रिय सहयोग स्वीकार करना पड़ा। उनकी प्रेस विज्ञप्ति में गिरफ्तारियों में राज्य पुलिस के सहयोग का उल्लेख है।
शुक्रवार सुबह गिरफ्तार किए गए लोग मुसाविर हुसैन शाज़ेब और अब्दुल मथीन ताहा। मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे हैं। ताहा ने कथित तौर पर रसद संभाली जबकि शाज़ेब ने बम लगाया। उन्हें कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर पूर्वी मेदिनीपुर जिले के एक छोटे से शहर कांथी या कोंटाई में पाया गया।
बता दें कि कांथी बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है, जो कभी ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी थे, लेकिन 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव से कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने पार्टी छोड़ दी। अधिकारी ने प्रतिष्ठित नंदीग्राम सीट से सुश्री बनर्जी को हाई-प्रोफाइल मुकाबले में हराया।