मौत का सत्संग करने वाले बाबा की कहानी! पुलिसकर्मी से बन गया “भोले बाबा”

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लाखो की संख्या में भक्त! बेहद वीआईपी प्रोटोकाल, हजारों की संख्या में पर्सनल गार्ड

नाम बदल कर रखा साकार हरि, पुलिस ने मुकदमे से रखा दूर, उठ रहे सवाल

पत्नी भी साथ में बैठकर देती है प्रवचन, सूट बूट और महंगे चश्मों का शौकीन है बाबा

कई राज्य में फैला है बाबा का साम्राज्य, मीडिया से रहती है खास दूरी।

यूपी का हाथरस एक बार फिर चर्चा में है, हाथरस विगत वर्षो से सियासी तापमान बढ़ा रहा है, विपक्ष बीजेपी पर हमला बोल रहा लेकिन इस लोमहर्षक घटना ने भारतवासियों का हृदय करुण क्रंदन से भर दिया, सैकड़ो निर्दोष लोगो की जान चली गई, एक बाबा का सत्संग सुनने के लिए, आस्था में डूबे भक्ति का रस लेने पंहुचे महिलाओं और बच्चों को क्या पता था कि इस सत्संग में उन्हें काल ने निमंत्रित किया था, इस सत्संग में मची भगदड़ के बाद कार्यक्रम के आयोजकों पर मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन बाबा का नाम दर्ज एफआईआर में न देखकर अब सवाल उठ रहे कि शिवहरि बाबा आखिर कौन है?

बाबा भोले, उर्फ शिवहरि, ये नाम इस सत्संग की घटना में सबसे ज्यादा चर्चित है, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये बाबा पहले यूपी पुलिस में कार्यरत रहे, लेकिन इन पर भक्ति का नशा कुछ ऐसा चढ़ा की पुलिस की नौकरी छोड़कर बाबा बन गए, शिव हरि बाबा के भूतकाल के पन्ने पलटने से चौंकाने वाली बाते सामने निकल कर आई है,बाबा यूपी के कासगंज जिले के पटियाली तहसील के गांव बहादुर नगर के रहने है,भोले बाबा उर्फ साकार हरि के लाखों अनुयायी है, उनका असली नाम सूरज पाल सिंह है उनके अनुयायी उन्हें साकार हरि भी कहते हैं। सूत्रों की माने तो पहले भी उनके सत्संग के बाद हादसे होते रहे हैं और जाने जाती रही है, लेकिन उनके अनुयायियों में उनके प्रति अटूट आस्था बनी रही है। इस बार उनके सत्संग में मची भगदड़ से हुई तमाम मौतों के बाद अब तमाम परिवार टूट चुके हैं, पीड़ित परिवारों में मातम छाया हुआ है।

बाबा शिवहरि पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगे, नौकरी छोड़ने के बाद सूरज पाल कई नाम बदलकर साकार हरि बन गए, लोगों को मानना है कि गरीब एवं वंचित लोगों में बाबा का अच्छा खासा प्रभाव है, लोगों का तो यहां तक की मानना है कि यह बाबा पहले पुलिस विभाग में कार्यरत रहा है इसलिए उसने अपने इर्द-गिर वर्दीधारी स्वयंसकों की लंबी चौड़ी कतर भी लगा रखी है, और कहीं ना कहीं इसी कारण यह बाबा शोहरत बटोरने में भी सफल साबित हुआ।

बाबा एक बड़ा प्रोटोकॉल भी फॉलो करते हैं जिसमें उनके कार्यक्रम स्थल के आसपास पड़ने वाले बस स्टैंड तथा रेलवे स्टेशन एवं अन्य जगहों पर उनके स्वयंसेवक तैनात रहते हैं बाबा के रंग रूप की अगर बात की जाए तो यह बाबा उन बाबाओ की तरह नहीं है जो भगवा कपड़ा पहनते हैं यह बाबा मॉडर्न जमाने के बाबा हैं जो सूट बूट में रहना पसंद करते हैं सूत्रों का यह भी कहना है कि इन्हें महंगे गॉगल पहनने का भी बड़ा शौक है सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह कोई भी सत्संग या प्रवचन अकेले नहीं करते बल्कि उनके प्रवचनों में उनकी पत्नी सहभागी के रूप में भी मौजूद रहती हैं। भक्त न सिर्फ बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं बल्कि उनकी पत्नी के चरण वंदन करते हैं।

साकार हरि बाबा अपने सत्संग में किसी देवता अथवा किसी धर्म संप्रदाय का प्रवचन नहीं बल्कि मानव सेवा का संदेश देते हैं बाबा कहते हैं कि मानव की सेवा सबसे बड़ी सेवा है, लेकिन इन सबके बीच में तमाम ऐसी बातें भी सामने निकल कर आ रही हैं जहां बाबा तमाम माध्यमों से लोगों के रोग मिटाने का भी दावा करते हैं और मन की शुद्धता की भी बात करते है, बाबा का प्रभाव कुछ ऐसा है कि कुछ ही वर्षों में बाबा के लाखों की संख्या में भक्त बन गए हैं माना यह भी जाता है कि बाबा अपने कार्यक्रम में अपने सेवादारों को एक विशेष प्रकार का ड्रेस कोड भी फॉलो करवाते हैं जिसमें उनके वॉलिंटियर गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर हाथ में सीटी और डंडा लेकर अपनी ड्यूटी बजाते हुए नजर आते है।

इस बाबा ने अपने मूल नाम को छुपाते हुए अपनी एक नई पहचान दी और यह पहचान थी सरकारविश्व हरि की, सूट बूट और महंगे चश्मा पहनकर या बाबा चमचमाती हुई सिंहासन पर बैठकर लाखों लोगों को अपना संदेश देता रहा, यूपी के कई जिलों से आगे बढ़ते हुए इस बाबा के साम्राज्य ने कई राज्यों में अपना वर्चस्व कायम कर लिया, बाबा का सत्संग मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में भी होता है।

बाबा के सत्संग की प्रारंभिक शुरवात गांव स्तर से हुई, स्वयं को साकार विश्व हरि बताने वाले भोले बाबा ने अपनी पैतृक जमीन पर आश्रम की स्थापना की,समितियों के माध्यम से अपने- अपने क्षेत्र में सत्संग का आयोजन कराया जाने लगा। समिति में 50 से 60 सदस्यों के माध्यम से सत्संग का प्रस्ताव बाबा को दिया जाता है। इसके बाद बाबा स्वीकृति देते हैं।

हर सत्संग के लिए आयोजन समिति अपने माध्यम से अनुयायियों तक आयोजन की जानकारी भेजकर आमंत्रित करती है। सत्संग में आने वाले अनुयायी अपने खर्च पर आयोजन स्थल तक पहुंचते हैं। भंडारे का इंतजाम होता है। सत्संग में लाखों की भीड़ जुटती है लेकिन ये बाबा पुलिस प्रशासन, नेता और मीडिया से दूरी बनाकर भोले बाबा गरीब, वंचित समाज का परमात्मा बन गया। पहले उसके अनुयायियों में वंचित समाज के लोग मुख्य तौर पर जुड़े थे, लेकिन जब उसके साथ सभी जाति-वर्ग के लोग जुड़े तो उसने अपना नाम बदल लिया।

यह विषय ऐसे बाबाओ के मानमर्दन का नहीं है बल्कि इस बिंदु पर विचारणीय है कि समाज में लोग ईश्वर की भक्ति से ज्यादा उन बाबो पर विश्वास करने लगते हैं जो स्वयं को स्वयंभू मानते हैं और अपने प्रवचन देते हैं, मुद्दा यहां राजनीतिकरण से भी जुड़ गया है क्योंकि विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर है, बहरहाल एफआईआर में बाबा का नाम तो नहीं दर्ज है लेकिन पुलिस मैनपुरी स्थित आश्रम पर लगातार नजर बनाए हैं और इस समय बाबा मौत का सत्संग करने के बाद अंडरग्राउंड हो गया है, जो खुद मानवता का संदेश देता रहा वही अब इस मानवीय सेवा करने के मौके पर भाग खड़ा हुआ।

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