तहजीब के शहर लखनऊ को लगी नज़र, 4 माह में 50 से ज्यादा लड़कियां गायब, कई बरामद

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हर थानों में रोज ही दर्ज होते हैं मुकदमे लेकिन पिछले 4 माह में लड़कियों और किशोरियों की गुमशुदगी के केस ज्यादा दर्ज हो रहे हैं। महिलाओं व युवतियों की सुरक्षा का दावा करने वाली पुलिस के लिए यह आंकड़े चिंता का विषय बन गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि 12 से 18 वर्ष की लड़कियां सबसे ज्यादा लापता हो रहीं हैं। आखिर यह मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? क्यों लड़कियां दूसरों के बहकावे में आकर अपना घर छोड़ रही हैं? या ऐसी कौन सी बात है जिससे वो यह कदम उठाने पर मजबूर हैं? ऐसे कई सवालों का जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है।  

लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस के आंकड़ों की माने तो अब तक चार माह में करीब राजधानी से करीब 50 से 60 लड़कियां लापता हो चुकी हैं। इसमें सबसे ज्यादा केस ग्रामीण थाना क्षेत्रों व शहर में स्थित घनी बस्तियों के पाए गए हैं। यह आंकड़े पुलिस के लिए एक चुनौती बन गए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें महानगर, चिनहट, अलीगंज, बीकेटी, निगोहां, मडिय़ांव, सरोजनीनगर, आशियाना, गुड़म्बा आदि समेत अन्य ग्रामीण थानों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इनमें ज्यादातर केस वो होते हैं, जो प्रेमजाल में फंसकर किसी के बहकावे में आकर अपनी मर्जी से चली जाती हैं। अधिकतर केसों में सकुशल लड़कियों को वापस तालाश लिया जाता है। 

प्रेमी के साथ भागने की बात आती है सामने

आंकड़े बताते हैं कि 12 से 18 वर्ष की लड़कियां सबसे ज्यादा गायब हो रहीं हैं। अधिकतर मामलों में जब थाने पर कोई परिजन अपनी बच्ची की गुमशुदगी का मुकदमा लिखवाने आते हैं तो वो लोग यही आरोप लगाते हैं कि गांव या उनके क्षेत्र में रहने वाला कोई युवक किशोरी या युवती को बहला-फुसलाकर भगा ले गया है। उनके कहे अनुसार पुलिस केस भी दर्ज कर लेती है। जब उनकी तलाश कर वापस लाया जाता है तो ज्यादातर यही बात सामने आती है कि वह अपनी मर्जी से घर से छोड़कर गई थी। 

चार माह बाद एएचटीयू में ट्रांसफर हो जाता है केस 

पुलिस के अनुसार लापता होने के चार महीने तक बरामद न होने पर इंवेस्टिगेशन को एंटी हृयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। जिसके बाद वह अपने स्तर से पड़ताल शुरू कर देते हैं। बावजूद इसके लापता का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शहर से लापता होने वाले अधिकतर किशोरियों को तलाश लिया जाता है, लेकिन कई केस अभी भी पैंडिंग पड़े हैं। जिनकी जांच चल रही है। 

घर वालों को बनाकर रखना होगा दोस्ताना माहौल

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञों की माने तो किशोरियों और बच्चों के घर से जाने के कई कारण होते हैं, जैसे घर में लड़ाई हो जाना, पढ़ाई से मनमुटाव या फिर किसी के बहकावे में आकर साथ चले जाना। लेकिन अगर परिवार इन पर थोड़ा सा ध्यान दें तो शायद बच्चे गलत कदम उठाने से बच सकेंगे। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि इनकी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना, जितना ज्यादा परिजन अपने बच्चों पर ध्यान देंगे, उतना ही बच्चे अपनों के करीब रहते हैं। साथ ही अपने बच्चों के साथ एक अच्छे मां-बाप के अलावा एक अच्छा दोस्त बनकर रहे। इससे वह कोई भी बात अपने दिल में नहीं दबा पाएंगे और आपसे खुलकर अपनी बात शेयर करेंगे। 

ये होते हैं मुख्य कारण 

1- पढ़ाई में मन न लगना भी एक बड़ा कारण 

2- घर में अकेला महसूस करने पर उठाते हैं कदम 

3- किसी के बहकावे में आने के बाद उठाते हैं कदम

4– छोटी-छोटी बातों पर हमेशा डांटते रहना  

ऐसे करें बचाव 

1- दोस्त की तरह इनको ट्रीट करें

2- अच्छे दोस्तों की संगत होना 

3- कोई भी गलत हरकत दिखने पर बात करें 

केस-1

कृष्णानगर के संजय गाधी मार्ग आजाद नगर में रहने वाली रुबीना बानो के अनुसार मार्च माह में वह घर से बहन शायरा बानो के साथ साप्ताहिक मंगल बाजार जा रही थी। इस दौरान रास्ते में शायरा ने बाइक सवार किसी लड़के से कुछ बात की और उसके साथ चली गई। परिजनों ने इस मामले में गली के पास रहने वाले नवनीत उपाध्याय नाम के लड़के पर बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। 

केस-2

सरोजनीनगर के आजाद नगर चिल्लावां निवास उमेश चंद्र के मुताबिक उसकी 14 वर्षीय बेटी और क्षेत्र के ही एक निजी इंटर कॉलेज में कक्षा 9 की छात्रा प्रियांशी मार्च माह में कानपुर रोड स्थित बदाली खेड़ा चौकी के पास दुकान से चाऊमीन खरीदने गई थी, लेकिन वापस घर नहीं लौटी। काफी देर तक वापस न लौटने पर उसकी रिश्तेदारी और परिचितों के वहां खोजबीन की गई, लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद कोतवाली में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई। 

केस-3

आलमबाग के साकेत पुरी में रहने वाली नीता श्रीवास्तव ने बताया कि वह अपने घर में पुत्री कशिस श्रीवास्तव के साथ रहती है। आरोप था कि 13 अप्रैल की सुबह उनके घर के सामने रहने वाला अभिषेक यादव उनकी पुत्री को बहला-फुसला कर जबरन कहीं भगा कर ले गया है और उसके घर से पिता कैलाश यादव व भाई राजा यादव और पिं्रस यादव भी फरार है। उन्होंने खोजबीन करने के बाद स्थानीय थाने में नामजद शिकायत की है।

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