पत्नी की हत्या के दोषी पति को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, इसके साथ ही 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं वादी पिता पर झूठी गवाही देने के जुर्म में कोर्ट ने उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही किए जाने के लिए प्रकीर्ण वाद पंजीकृत कराया है।
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अछल्दा थाना में वादी मुकदमा प्रताप सिंह ने रिपोर्ट लिखाई थी। जिसमें वादी ने लिखा कि उसने पुत्री ऊषा कुमार की शादी वर्ष 2007 में रमनगरिया अछल्दा निवासी रजनेश पुत्र सहदेव सिंह के साथ की थी। उसके चार बच्चे भी हैं। 14 अप्रैल 2019 की भोर ऊषा की ससुराल में मृत्यु हो गई। वादी ने आरोप लगाया गया कि मृतका की नाक, गला व पीठ पर चोट के निशान हैं। नजदीक में चूड़ियां भी टूटी पड़ी हुई मिली। मृतका के पति रजनेश, उसके पिता सहदेव सिंह, सास मालती देेवी व देवर सोनू कुमार के खिलाफ हत्या का षड़यंत्र का नामजद मुकदमा लिखाया । पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की। यह मुकदमा एडीजे प्रथम विकास गोस्वामी की कोर्ट में चलते हुए निर्णीत हुआ। सुनवाई के दौरान मृतका के पिता प्रताप सिंह ने गवाही के दौरान एफआईआर में लगाए गए आरोपों को झुठला आरोपी के पक्ष में गवाही दी।
अभियोजन की ओर से एडीजीसी चंद्रभूषण तिवारी ने ससुराल में हुई मौत के लिए ससुरालियों को दोषी बताया व कठोर दंड देने की बहस की।
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बचाव व अभियोजन पक्ष की दलीलाें को सुनने के बाद कोर्ट ने नामजद मृतका के ससुर सहदेव सिंह, सास मालती देवी व देवर सोनू कुमार को दोषमुक्त कर बरी कर दिया। लेकिन पति रजनेश को आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। मृतका के वादी पिता प्रताप सिंह की ओर से कोर्ट में असत्य साक्ष्य देने पर उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 344 के तहत विधिक कार्यवाही किए जाने के लिए प्रकीर्ण वाद पंजीकृत किया गया। साथ ही दोषी पति रजनेश को जिला कारागार इटावा भेज दिया गया
रिपोर्ट : मनीषा सिंह गौतम