चित्र : केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि कम्युनिस्ट राष्ट्र ‘घबराया हुआ’ है क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है। उन्होंने यह बात अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों का नाम बदलने पर चीन की आलोचना करते हुए कही।
हांगकांग के एक दैनिक अखबार के अनुसार, ‘केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 30 स्थानों के नाम बदलने के बाद आई है। चीन ने पूर्वोत्तर राज्य में ‘मानकीकृत’ भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी की है, जिसे वह जांगनान कहता है।’
रिजिजू ने कहा, ‘चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों को कुछ प्रकार के नाम दिए हैं। लेकिन, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। हम बहुत परेशान हैं और हम चीनी सरकार द्वारा की गई इस तरह की दुर्भावनापूर्ण गतिविधि को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं।’
किरेन रिजिजू ने यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय से लेकर हमारी सरकार ने बहुत उचित तरीके से जवाब दिया है। लेकिन, मुझे लगता है कि चीन बहुत घबराया हुआ है क्योंकि कांग्रेस के समय में ये सीमावर्ती क्षेत्र पूरी तरह से अविकसित रह गए थे।
मोदी सरकार के समय में, सभी प्रमुख राजमार्ग, सड़कें, पुल, सभी 4 जी नेटवर्क, पानी की आपूर्ति, बिजली, सभी बुनियादी सुविधाएं सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रदान की जा रही हैं, खासकर अरुणाचल प्रदेश में, जिसे इतने लंबे समय तक उपेक्षित रखा गया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत दूसरों के लिए समस्याएं पैदा नहीं करेगा, हालांकि, अगर देश में अशांति फैली तो वह उचित जवाब देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पार्टी की नकारात्मक सीमा नीति को पलट दिया है। इसलिए, अब चूंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक विकास की रोशनी दिखाई दे रही है। चीन इस पर प्रतिक्रिया कर रहा है।
चीन असहज महसूस कर रहा है। वे इस बात पर आपत्ति जता रहे हैं कि भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में इतना बुनियादी ढांचा क्यों बना रहा है। इसलिए वे इस तरह के अनैतिक आचरण का सहारा ले रहे हैं। लेकिन, यह भारत कांग्रेस के समय का भारत नहीं है। यह 1962 का भारत नहीं है।