चित्र : कांग्रेस नेता राहुल गांधी।
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कर नोटिस को चुनौती देने वाली पार्टी की याचिका खारिज किए जाने के एक दिन बाद, कांग्रेस को आयकर विभाग से 1,800 करोड़ रुपए का नोटिस मिला है। नया नोटिस वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए है और इसमें जुर्माना और ब्याज शामिल है।
आयकर अधिकारियों द्वारा 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाए जाने और उसके फंड को फ्रीज किए जाने के बाद कांग्रेस पहले से ही फंड की कमी से जूझ रही है। पार्टी को इस मामले में हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है और अब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।
पार्टी ने बीजेपी पर उसे आर्थिक रूप से तंग करने तथा 19 अप्रैल से शुरू हो रहे लोकसभा चुनावों से पहले उसके खिलाफ कर अधिकारियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता में आने पर वे ‘लोकतंत्र को विघटित’ करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि…
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘हमें आर्थिक रूप से पंगु बनाने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। यह कर आतंकवाद है और इसका इस्तेमाल कांग्रेस पर हमला करने के लिए किया जा रहा है। इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा कि आगामी संसदीय चुनावों के लिए कांग्रेस का अभियान जारी रहेगा और पार्टी अपनी गारंटी देश की जनता तक ले जाएगी। हम इन नोटिसों से नहीं डरेंगे। हम और अधिक आक्रामक होकर चुनाव लड़ेंगे।’
बता दें कि फरवरी 2024 में आयकर विभाग ने पार्टी के कर रिटर्न में गड़बड़ी पाई थी और 200 करोड़ रुपये की मांग की थी। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने पार्टी को बकाया राशि का भुगतान करने और उनके खातों को फ्रीज करने को कहा था।
कांग्रेस ने कहा कि कर न्यायाधिकरण द्वारा उसके धन को जब्त करने का आदेश ‘लोकतंत्र पर हमला’ है, क्योंकि यह आदेश लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। तो वहीं, गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस द्वारा चार वर्ष की अवधि के लिए उसके विरुद्ध कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने की चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
गौर करने वाली बात यह भी है कि आम चुनाव 2024 में राजनीतिक दलों के लिए वित्तपोषण एक केंद्रीय मुद्दा बन गया है, विशेष रूप से तब जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। चुनावी बांड व्यक्तियों और/या व्यवसायों को राजनीतिक दलों को गुमनाम दान देने की अनुमति देते हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने फैसले का स्वागत किया है। बहरहाल इस चंदे का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ है।