उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सोशल मीडिया के ज़रिए अश्लीलता फैलाने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। असमोली थाना पुलिस ने शहबाजपुर कलां गांव की दो बहनों—महक और मेहरूल निशा उर्फ परी—को उनके दो साथियों के साथ गिरफ्तार किया है। ये सभी सोशल मीडिया पर गाली-गलौज, भद्दे इशारे और फूहड़ कंटेंट से भरे वीडियो बनाकर अपलोड करते थे।
पुलिस पूछताछ में दोनों बहनों ने स्वीकार किया कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए हर महीने करीब 25 से 30 हजार रुपये तक कमा लेती थीं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर करीब 4.2 लाख फॉलोअर्स हैं। इस मामले में अमरोहा के जोया कस्बा निवासी हिना और भवालपुर गांव निवासी जर्रार आलम को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन युवतियों को पहले भी सोशल मीडिया पर अश्लीलता फैलाने को लेकर चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने न तो अपनी गतिविधियां रोकीं और न ही पुराने वीडियो हटाए। आखिरकार पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
- गांव में नाराज़गी, शर्मिंदगी का माहौल
शहबाजपुर कलां गांव के लोगों में इस घटना को लेकर काफी नाराजगी है। उनका कहना है कि यदि ये लड़कियां मर्यादित और प्रेरणादायक वीडियो बनातीं तो गांव का नाम रोशन होता, लेकिन फूहड़ता और अभद्र भाषा ने पूरे गांव की छवि को बदनाम कर दिया है। यही नाराजगी अमरोहा के जोया कस्बे के लोग भी हिना को लेकर ज़ाहिर कर रहे हैं।
परिवार की पृष्ठभूमि की बात करें तो परी और महक पहले चांदी के वर्क का पारंपरिक काम करती थीं। उनके पिता आज भी गांव में एक छोटी सी परचून की दुकान चलाते हैं।
- सोशल मीडिया की अंधी दौड़ में मर्यादा का पतन
यह घटना सिर्फ एक पुलिसिया कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह युवाओं में बढ़ते सोशल मीडिया के दुरुपयोग और समाज में नैतिक पतन का संकेत भी है। लोकप्रियता और कमाई के लालच में ये युवतियां न केवल अपनी इज्जत को दांव पर लगा बैठीं, बल्कि अपने गांव और परिवार की साख को भी नुकसान पहुंचाया।
आज के डिजिटल युग में वायरल होने की चाह में युवा वर्ग तेजी से नैतिकता, भाषा की मर्यादा और सामाजिक जिम्मेदारी को भूलता जा रहा है। इस घटना ने यह सवाल फिर से उठा दिया है कि क्या हमें अपने बच्चों को सोशल मीडिया की ताकत के साथ उसकी सीमाएं भी सिखाने की ज़रूरत नहीं है?
- क्या आगे होगा?
गिरफ्तार युवतियों पर आईटी एक्ट और सार्वजनिक स्थान पर अश्लीलता फैलाने जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। अगर इन पर आरोप सिद्ध होते हैं तो इन्हें कड़ी सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है यह मामला हमें यह समझाने के लिए काफी है कि सोशल मीडिया की शक्ति अगर विवेक और संस्कारों के साथ नहीं संभाली गई, तो यह एक समाजिक संकट का रूप भी ले सकती है। युवाओं को इस दिशा में सही मार्गदर्शन और निगरानी की सख्त ज़रूरत है।