अब देश को मिलेगा नया उपराष्ट्रपति, जानिए पूरी प्रक्रिया और पात्रता भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे अब देश में एक नई संवैधानिक प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। अब जल्द ही नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा।
- संविधान क्या कहता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति का पद किसी कारणवश खाली हो जाए — चाहे वह इस्तीफा हो, मृत्यु, या अन्य कारण — तो उस पद को छह महीने के भीतर भरना आवश्यक होता है। यही वजह है कि अब चुनाव आयोग सक्रिय होगा और नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया को जल्द ही शुरू करेगा।
- नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
जो भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होगा, उसका कार्यकाल पदभार संभालने की तारीख से पाँच वर्ष का होगा। उपराष्ट्रपति न केवल देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, बल्कि राज्यसभा के पदेन सभापति (ex-officio Chairman) की भूमिका भी निभाता है।
- इस्तीफे की प्रक्रिया
भारत में उपराष्ट्रपति यदि अपने पद से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे सीधे राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपना होता है। राष्ट्रपति द्वारा इस्तीफा स्वीकार किए जाने के साथ ही यह प्रभावी हो जाता है। इस दौरान, यदि उपराष्ट्रपति को अस्थायी रूप से राष्ट्रपति का कार्यभार भी संभालना पड़े, तो वह राज्यसभा के सभापति की भूमिका से अलग हो जाता है।
- कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं।
चुनाव में एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) अपनाई जाती है।
यह एक अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली है जिसमें गोपनीय मतदान होता है।
सांसदों को अपनी पसंद के उम्मीदवार को प्राथमिकता क्रम में वोट देना होता है।
- उपराष्ट्रपति पद के लिए कौन हो सकता है योग्य?
कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए तभी पात्र होता है जब वह निम्नलिखित शर्तें पूरी करता हो:
भारत का नागरिक हो।
उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
वह राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
वह किसी लाभ के पद (Office of Profit) पर आसीन न हो — यानी कोई सरकारी नौकरी या लाभदायक पद न संभाल रहा हो।
- क्यों महत्वपूर्ण होता है उपराष्ट्रपति पद?
भारत में उपराष्ट्रपति न केवल एक संवैधानिक प्रतीक होते हैं, बल्कि राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की भी जिम्मेदारी निभाते हैं। साथ ही, किसी कारणवश राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका भी निभाते हैं।
अब जब जगदीप धनखड़ ने पद छोड़ दिया है, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़ है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। विभिन्न दल अपनी रणनीतियां तय करने में जुट गए हैं और देश की नजरें एक बार फिर राष्ट्र की दूसरी सबसे बड़ी संवैधानिक कुर्सी पर टिकी हैं।