योगी सरकार ने कुपोषण के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों से गांव-गांव तक पौष्टिक आहार पहुंचाने के लिए 51.89 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि मंजूर की है। इस पहल के तहत अब किशोरियों से लेकर गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों तक हर जरूरतमंद को पौष्टिक आहार मिलना सुनिश्चित होगा
सरकार ने ‘अनुपूरक पुष्टाहार योजना’ में ‘टॉप-अप व्यवस्था’ की शुरुआत भी की है, जिससे बढ़ती लागत के बावजूद पोषण की सप्लाई में कोई रुकावट नहीं आएगी। दाल और अन्य सामग्रियों की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद विकल्प तय करेंगे, ताकि दाल जैसी जरूरी चीजों की उपलब्धता में कोई दिक्कत न हो।
हर घर पहुंचेगा पौष्टिक आहार
उत्तर प्रदेश सरकार समन्वित बाल विकास योजना के तहत 6 माह से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं, तथा 14 से 18 वर्ष की किशोरियों को पौष्टिक आहार दे रही है। यह योजना खासकर उन क्षेत्रों में लागू है, जहां कुपोषण की समस्या ज्यादा गंभीर है। आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए फोर्टिफाइड गेहूं दलिया, चना दाल, मसूर दाल और खाद्य तेल जैसी चीजें सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाई जा रही हैं।
नैफेड के जरिए होगी आपूर्ति, योगी सरकार ने उठाया खर्च
राज्य सरकार नैफेड के जरिए आंगनबाड़ी केंद्रों तक पुष्टाहार सामग्री पहुंचा रही है। बाजार में दाल और अन्य चीजों की कीमतें बढ़ने से नैफेड की सप्लाई लागत भी बढ़ गई है। ऐसे में सरकार ने यह तय किया है कि नैफेड की बढ़ी हुई दरों का अतिरिक्त खर्च राज्य सरकार उठाएगी, ताकि लाभार्थियों को बिना किसी रुकावट के पोषण मिलता रहे।
2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए क्रमशः 25.92 करोड़ और 25.97 करोड़ रुपये का टॉप-अप स्वीकृत किया गया है। साथ ही, भविष्य में भी नैफेड की दरों में बढ़ोतरी होने पर सरकार इस खर्च को उठाने के लिए तैयार है।
गांव की महिलाओं को मिलेगा रोजगार
सरकार का यह कदम सिर्फ पोषण तक ही सीमित नहीं है। 2026-27 तक प्रदेश में 347 टीएचआर यूनिट्स स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जो महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित होंगी। इससे ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा और सप्लाई चेन भी मजबूत होगी।
कुपोषण से मुक्ति की ओर बड़ा कदम
इस नई व्यवस्था से प्रदेश के लाखों परिवारों को सीधा फायदा होगा। आंगनबाड़ी केंद्रों पर निर्भर गरीब परिवारों के बच्चों और महिलाओं को समय पर पौष्टिक आहार मिलेगा, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा और कुपोषण जैसी समस्याओं पर लगाम लगेगी। इसका असर सीधे तौर पर राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी दिखेगा।