पाकिस्तानी नेता की व्यथा, ‘भारत महाशक्ति बन रहा, ‘हम’ भीख मांग रहे’

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चित्र : विपक्षी नेता मौलाना फजलुर रहमान।

इस्लामाबाद। पाकिस्तानी संसद में अपने उद्घाटन भाषण में सोमवार को विपक्षी नेता मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि पड़ोसी देश जहां ‘वैश्विक महाशक्ति’ बनने का प्रयास कर रहा है, वहीं पाकिस्तान ‘दिवालियापन’ की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने ये बात भारत के साथ पाकिस्तान की तुलना करते हुए कही। बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान के प्रमुख फजलुर रहमान ने साथी सांसदों से पूछा, ‘अगस्त 1947 में भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए थे। आज भारत वैश्विक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है, जबकि हम दिवालिया होने से बचने की भीख मांग रहे हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’

नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 3 बिलियन डॉलर का बेलआउट फंडिंग पैकेज मिल रहा है, और एजेंसी ने सोमवार को इसकी अंतिम किश्त तुरंत जारी करने पर सहमति जताई है। इस्लामाबाद आईएमएफ से और अधिक धनराशि मांगने की योजना बना रहा है।

पाकिस्तान के प्रमुख दक्षिणपंथी इस्लामी नेता ने भी हाल ही में हुए आम चुनावों की आलोचना की और कहा कि चुनावों में और देश को चलाने में ‘प्रतिष्ठान और नौकरशाही की कोई भूमिका नहीं थी’।
उन्होंने कहा, ‘यह कैसा चुनाव है जहां हारने वाले संतुष्ट नहीं हैं और जीतने वाले परेशान हैं?’

उन्होंने वर्तमान संसद की वैधता पर भी सवाल उठाया और इसके सदस्यों पर सिद्धांतों को त्यागने तथा ‘लोकतंत्र को बेचने’ का आरोप लगाया, जैसा कि समाचार एजेंसी एएनआई ने स्थानीय मीडिया सूत्रों के हवाले से बताया है।

फजलुर रहमान ने कहा कि दीवारों के पीछे कुछ शक्तियां हैं जो हमें नियंत्रित कर रही हैं और वे निर्णय लेती हैं जबकि हम सिर्फ कठपुतली हैं।स विपक्षी नेता ने आगे कहा है कि सरकारें महलों में बनती हैं और नौकरशाह तय करते हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा? हम कब तक समझौता करते रहेंगे? कब तक हम सांसदों के रूप में चुने जाने के लिए बाहरी ताकतों की मदद लेंगे?

बता दें कि पाकिस्तान में इस साल फरवरी में संसदीय चुनाव हुए थे, लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने पीपीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई, जिसके अध्यक्ष शहबाज शरीफ हैं। देश अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि आईएमएफ फंड की मदद से जल्द ही व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल की जा सकती है।

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