प्रतीकात्मक चित्र।
इंदौर (मध्य प्रदेश)। इंदौर की एक पारिवारिक अदालत ने पति के वैवाहिक अधिकारों को बरकरार रखते हुए कहा है कि ‘सिंदूर’ लगाना एक विवाहित महिला का धार्मिक कर्तव्य है। यह याचिका एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के खिलाफ दायर की थी, जो पांच साल पहले शादी से बाहर चली गई थी और तलाक की कार्यवाही शुरू कर दी थी।
पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपने अधिकारों की बहाली की मांग की। अदालत ने 1 मार्च को एक आदेश जारी किया, जिसमें महिला को उसके पति के पास लौटने का निर्देश दिया गया।
इस जोड़े की शादी 2017 में हुई थी और उनका एक पांच साल का बच्चा भी है। पत्नी ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था, लेकिन अदालत ने पाया कि पत्नी ने पुलिस में कोई पुष्टि करने वाली शिकायत दर्ज नहीं की है। अदालत के जज ने, गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि पत्नी द्वारा ‘सिंदूर’ न लगाना एक तरह की क्रूरता है।