यूपी में बीजेपी के हार से इन नेतावों के ऊपर गिरेगी गाज

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लोकसभा चुनाव क रिजल्ट कल आ गया है NDA को पूर्ण बहुमत जरूर मिल गया है लेकिन बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली है। इसी वजह से अब बीजेपी अपने गठबंधन साथियों पर सरकार बनाने के लिये निर्भर हैं। माना जा रहा हैं कि बीजेपी पूर्ण बहुमत न मिलने की वजह यूपी हैं। यूपी में 80 लोकसभा की सीटे है और ये माना जा रहा था यूपी में इस बार फिर 60 से 70 सीटे मिलेंगी ,लेकिन ये सारी की सारी बातें धरी की धरी रह गई।

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यूपी में बीजेपी को तगड़ा नुकशान हुआ है और मात्र 33 सीटों पर ही सिमिट गई। यूपी में बीजेपी के रिजल्ट के बाद योगी की स्टारडम को लेकर अब चर्चावो का बाजार गर्म हो गया हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी। माफियाओं के खिलाफ एक्शन और राज्य में कानून व्यवस्था जैसे संवेदनशील मुद्दे पर योगी के अच्छे काम को इसकी वजह माना गया था। इस जीतने ने योगी के कद को तेजी से यूपी में बढ़ाया था और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी एक अलग पहचान बनी थी। लेकिन अब 2024 में लोकसभा चुनाव के यूपी से जो नतीजे आए हैं ,उसने देशभर को चौंका दिया है। भाजपा यहां 33 सीटों पर ही ठहर गई। जबकि अखिलेश की समाज वादी पार्टी ने 37 सीटों के जीत के साथ शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है की इन नतीजे से ब्रांड योगी पर क्या असर होगा सभी की नजरे अब उन पर हैं। योगी आदित्यनाथ का नाम बीते कुछ सालों से पीएम के साथ लिया जाता है मोदी योगी के नाम के चुनावी जनसभा में नारे लगाते हैं। लेकिन इन नतीजे के बाद यूपी में भाजपा की राजनीति और 2027 के चुनाव पर भी सभी की नजर टिकी होंगी। खासतौर पर भाजपा के आंतरिक समीकरण देखने लायक होंगे । योगी आदित्यनाथ को 2017 में अचानक की मौका मिला था उन्हें सीएम बनाया जाना एक सरप्राइज था लेकिन उन्होंने बुलडोजर निति सख्त सुरक्षा व्यवस्था ,जैसी चीजों से अपना नेरेटिव बनाया था। पूरे देश में उनके नाम की चर्चा होने लगी थी. जिसके बाद राज्य में 2019 के आम चुनाव और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें बड़ी सफलता मिली थी।

योगी की सफलता के ये बातें इस लोकसभा चुनाव में होने लगी थी कि भले ही पीएम का चेहरा एक बार फिर नरेंद्र मोदी ही हो ,लेकिन यूपी में योगी आदित्यनाथ पर भी निर्भरता भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की रहेगी। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आए हैं और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जहां 80 की 80 लोकसभा सीटे को जीतने के दावे कर रही थी लेकिन बीजेपी के सारे दावे फ़ैल हो गये और मात्र बीजेपी 33 सीटों पर ही सिमट गई। ऐसे में इस बात का तो मंथन जरूर होगा कि आखिर यूपी में चूक कहां हुई। दूसरी बात उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी लेकर बातें होगी क्योकि विपक्ष पहले ही चुनावी जनसभावो में यह बातें कह रही थी की लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश का सीएम बदल जाएगा यानी कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन चर्चा इस बात की जरूर है कि जब उत्तर प्रदेश की सीएम योगी ने चुनाव प्रचार में कुल 169 रैलियां की 15 प्रबुद्ध सम्मेलन किया और 13 रूट शो भी निकले फिर भी नतीजा पश्चिम से लेकर पूर्व तक हैरान करने वाला ही रहा। भाजपा को वाराणसी के आसपास के इलाकों में हार झेलनी पड़ी। केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडे खुद चंदौली से पराजित रहे इसके अलावा गाजीपुर जौनपुर जैसी सीटों पर भी बीजेपी को पराजय का सामना करना पड़ा है। हालांकि आदित्य योगी नाथ गोरखपुर मंडल में अपना किला बचाने में सफल रहे हैं गोरखपुर महाराजगंज देवरिया कुशीनगर और बांसगांव में भाजपा को जीत मिली है कहां जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने खुद गोरखपुर में अपना कैंपेन किया था और निजी तौर पर इन सभी सीटों पर अपनी नजर बनाए हुए थे। उनकी मेहनत का असर है कि गोंडा और डुमरियागंज में भी भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत गई है। पार्टी में यूपी के नतीजे को लेकर चर्चा शुरू हो गई और कई नेताओं को कहना है कि इस हार की वजह कमजोर उम्मीदवार रहे ,2 से 3 बार सांसद रह चुके ज्यादातर लोगों को रिपीट किया गया था जिसका असर यह हुआ कि लोग कम निकले और हार मिली।

यूपी में बीजेपी के हार का जिम्मेदार वह योगी आदित्यनाथ को मानने से इनकार कर रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने जी तोड़कर 80 लोकसभा सीटों पर मेहनत किया था लेकिन टिकट बंटवारे में उनकी भूमिका सीमित रखी गई थी। ,,जिसकी खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज में भुगतना पड़ रहा है। एक और बात जो लोग कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना इसलिए भी करना पड़ रहा है ,क्योंकि भाजपा ने 2019 में जीते 62 सांसदों में से 55 सांसदों को रिपीट कर दिया था जबकि उन 55 सांसदों में से कई सांसदों के रिपोर्ट कार्ड अच्छी नहीं थी। यानी कि वह अपने क्षेत्र से लगातार गायब रहे थे लेकिन उनको फिर भी केंद्रीय लीडरशिप ने टिकट दे दिया था। यह भी एक बड़ी वजह रहा कि बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ रहा है। कहां यह भी जा रहा है कि योगी राजभर को साथ लाना ही नहीं चाहते थे लेकिन अमित शाह के कहने पर किसी तरीके से उत्तर प्रदेश में ओपी राजभर के साथ सामंजस बैठाई गई। जिसका नतीजा बिल्कुल ही खराब रहा। राजभर अपने बेटे को भी जितवाने में कामयाब नहीं रहे। चौथा जो सबसे बड़ा फैक्टर निकल कर आ रहा है वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी की जो अलायंस में पार्टियां रही वह परफॉर्म नहीं कर पाई और अपने ही जाति के वोटो को अपने और आकर्षित करने में नाकाम रहीं। जिसका खामिया जा उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। वजह कुछ भी रही हो लेकिन समाजवादी पार्टी मिली अपने इस सफलता से खुश है और अब वह सरकार बनने पर पूरी तरीके से फोकस किए हुए हैं। अब देखने वाली बात होगी की उत्तर प्रदेश की राजनीति किस तरफ करवट लेने वाली है। वैसे आपको क्या लगता कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी से कहा पर चूक हुई हैं।

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