देश में बढ़ रहें लव जिहाद और धर्मांतरण को लेकर अब देश में सियासत तेज हो गई है। उत्तराखंड में लव जिहाद पर मचे घमासान और बढ़ रहे सांप्रदायिक तनाव की स्थिति के बीच उत्तर प्रदेश में भी धर्मांतरण कानून की चर्चा तेज हो गयी है।
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इस मसले पर योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से भी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया हैं। योगी सरकार के निर्देश के बाद से ही धर्मांतरण के मामलों में तेजी से कार्रवाई हो रही है।उत्तर प्रदेश में 2021 से 30 अप्रैल 2023 तक 427 मामले लव जिहाद के मामले दर्ज हुए हैं. जबकि धर्मांतरण कानून को लेकर अब तक 833 से ज्यादा गिरफ्तारी हुई है. वहीं 185 मामलों में पीड़ित ने कोर्ट के सामने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन की बात कबूली है. नाबालिगों के धर्मांतरण के मामले में अब तक 65 मामले दर्ज हो चुके हैं. सबसे ज्यादा मामले बरेली जनपद में अब तक दर्ज हुए है. दिव्यांग बच्चों का धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का खुलासा भी उत्तर प्रदेश में हो चुका है.

इस वजह से योगी सरकार प्रदेश में लगातार धर्मांतरण को लेकर सख्ती के साथ पेश आ रही है. प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 से गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू किया गया था आइये अब हम आपको ये बताते है कि योगी सरकार ने जो धर्मांतरण कानून बनाया उसमे क्या नियम है और क्या प्रावधान है यूपी में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है कानून में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक है, अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है. जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान है

जबकि एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है, कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा, गौरतलब है कि बीते दिनों में लव जिहाद के काफी मामले सामने आए हैं।