देश में इन दिनों समान नागरिक संहिता लागू करने की चर्चा चल रही है… इसके पक्ष और विपक्ष में खूब दलीलें दी जा रही हैं… कुछ लोगों का कहना है कि हमारे देश में जितनी विविधता है, वहां एक कानून लागू करना सही नहीं है..
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वहीं, कुछ लोगों का तर्क है कि अलग-अलग कानून होने से देश का सद्भाव कमजोर हो रहा है… आइये आपको बताते है की देश पहली बार UCC कानून के बारे में विचार विमर्श कब हुआ थी .. 73 साल पहले नवंबर के इन्हीं दिनों में दिल्ली के संसद भवन में (UCC) को लेकर विमर्श किया जा रहा था… यह 23 नवंबर 1948 का दिन था..इस दिन इस मुद्दे पर चर्चा हुई की केंद्र में यूसीसी को संविधान में शामिल किया जाए या नहीं… लेकिन उस समय इस पर कोई नतीजा सामने नहीं आ सका …इस बात को आज 73 साल गुजर गए है…पर कोई बदलाव नहीं किया गया… आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है तो …देश के तकरीबन हर शहर में चाय के ठेलों से लेकर कॉफी हाउस तक यह चर्चा रहती है कि…. सरकार UCC लागू करेगी, क्योंकि ‘एक देश, एक कानून’ का विचार आज आमतौर पर हर आदमी के जेहन में है.. नागरिकों को उम्मीद इसलिए भी है कि मोदी सरकार अपने अतीत में किए गए सख्त फैसलों के लिए जानी जाती है…

पर उससे पहले जानते है कि ucc आखिर है क्या…ucc यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड जिसका अर्थ होता है….भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो …समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा…इसका अर्थ है एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है…दरअसल, दुनिया के किसी भी देश में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून नहीं है… लेकिन भारत में अलग-अलग पंथों के मैरिज एक्ट हैं… इस वजह से विवाह, जनसंख्या समेत कई तरह का सामाजिक ताना-बाना भी बिगडा हुआ है.. इसीलिए देश के कानून में एक ऐसे यूनिफॉर्म तरीके की जरूरत है जो सभी धर्म, जाति, वर्ग और संप्रदाय को एक ही सिस्टम में लेकर आए….इसके साथ ही अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है…. इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में लंबे समय से पड़े फैसले जल्द होंगे… शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा …फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो…. वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने निजी कानूनों के तहत करते हैं…
इन देशों में में UCC हो चुका है लागू
भारत में इसे लेकर बड़ी बहस जारी रही है…., वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में Uniform civil code लागू किया जा चुका है… दिलचस्पी की बात तो यह है कि देश में गोवा अकेला राज्य है, जहां ucc लागू है…आखिर ucc के आने से देश में क्या बदलाव आ सकते है हम आपको बताते है..यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे…लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा…लागू होने से महिलाओं की स्थिति सुधरेगी…कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे….लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी, ताकि वह कम से कम ग्रेजुएट हो जाएं…ग्राम स्तर पर शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी… बगैर रजिस्ट्रेान के सरकारी सुविधा बंद हो जाएगी…
UCC लागू होने से मिलेंगी ये सुविधाएं
पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार और अधिकार उपलब्ध होंगे। बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी…उत्तराधिकार में लड़के-लड़की की बराबरी की हिस्सेदारी होगी….नौकरीपेशा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल होगी….पत्नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता का सहारा महिला का पति बनेगा…मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का हक मिलेगा, गोद लोनो की प्रक्रिया आसान कर दी जाएगी…हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी…लिव-इन रिलेशन का डिक्लेरेशन देना होगा…बच्चे के अनाथ होने पर गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसानी की जाएगी…

\और पति-पत्नी में झगड़े होने पर बच्चे की कस्टडी ग्रैंड पैरेंट्स को दी जाएगी…2023 के चुनाव के पहले मोदी सरकार और विधि आयोग को लगने लगा है…..कि अब देश को ucc की जरूरत है .. इसके पीछे ‘अनेकता में एकता’ का भाव भी है, लेकिन दूसरे तरीके से… कुछ लोगों का मानना है …कि समान नागरिक संहिता देश के धर्म निरपेक्ष चरित्र को मजबूत करेगी…शायद इसी मकसद से प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक देश और दो कानून’ व्यवस्था नहीं चल सकती…

क्या वोटर और खासकर बहुसंख्यक समाज यूसीसी मुद्दे से उतना ही भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर सकेगा, जैसा राम मंदिर के मामले में हुआ है? क्योंकि यह मुद्दा विभिन्न सामाजिक धार्मिक रीति-रिवाजों के एक समान संहिताकरण से जुड़ा है ..ucc देश में लागू होना चाहिए या नही आपकी क्या राय है हमें जरूर बताइएगा
REPORT BY
DIVYA MADHWANI