लोकसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आरहा है वैसे वैसे सभी नेता एक दूसरे के ऊपर जुबानी हमला कर रहें हैं , जनता के नब्ज को टटोल रहे है कि कैसे जनता को अपनी विचारधारा की तरफ मोड़ा जा सके।
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वैसे इस समय कुछ मुद्दे ऐसे है जिनपर खूब चर्चा हो रही है जैसे कि लव जिहाद ,धर्मांतरण ,बुर्खा ,नमाज और मुसलमानों को लेकर, विपक्ष का आरोप है कि ये सब बीजेपी के एजेंडे शामिल है , जबकि बीजेपी इन मुद्दों पर विपक्ष को घेरती है और कहती रही है कि ऐसे कई मसले देश में है जिनको अभी दूर करना है। बीजेपी में चाणक्या के नाम मशहूर गृह मंत्री अमित शाह इस समय लोक सभा चुनाव को लेकर काफी एक्टिव हैं. शाह ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक सभा को सम्बोधित करते हुए मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी का मानना है कि मुस्लिम आरक्षण नहीं होना चाहिए क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है. धर्म आधारित आरक्षण नहीं होना चाहिए.

अमित शाह ने मुस्लिम आरक्षण पर ठाकरे को घेरा
गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से सवाल करते हुए पूछा, “उद्धव ठाकरे से पूछता हूं कि कर्नाटक में जिसकी सरकार बनी है वह वीर सावरकर को इतिहास की पुस्तकों से मिटाना चाहती है. क्या आप इससे सहमत हैं? मैं नांदेड की जनता से पूछता हूं कि महान देशभक्त, बलिदानी आदमी वीर सावरकर का सम्मान होना चाहिए या नहीं होना चाहिए? उद्धव जी आप दो नांव में पैर नहीं रख सकते… उद्धव जी कहते हैं कि हमने इनकी सरकार तोड़ी. हमने इनकी सरकार नहीं तोड़ी. शिवसैनिकों ने आपकी नीति विरोधी बातों से तंग आकर आपकी पार्टी छोड़ी.”उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को घेरते हुए आगे कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां जाते हैं वहां ‘मोदी… मोदी… मोदी’ के नारे लगते हैं… एक तरफ मोदी जी को दुनिया में सम्मान मिल रहा है और दूसरी तरफ कांग्रेस के शहजादे राहुल बाबा विदेश जाकर देश का अपमान करते हैं.”

मुस्लिम आरक्षण का विवाद कहा से शुरू हुवा और किन राज्यों में ये आरक्षण मुसलमानों को मिल रहा है
आइये अब हम आपको बताते कि मुस्लिम आरक्षण का विवाद कहा से शुरू हुवा और किन राज्यों में ये आरक्षण मुसलमानों को मिल रहा है ,,… तो सबसे ये जान लीजिये आप कि भारत का संविधान धर्म के आधार पर किसी समुदाय को आरक्षण देने की बात नहीं कहता. बल्कि ये समाज में पिछड़े हुए लोगों के उत्थान के लिए आरक्षण की व्यवस्था को को लागू करने की बात कहता है. और इस हिसाब से देखें तो धर्म के आधार पर किसी पूरे समुदाय को आरक्षण देना सही नहीं है और ये भारत के संविधान के भी खिलाफ है। देश में आरक्षण देने के नाम पर सियासी पार्टियां अपनी रोटी सेंकती हैं. चुनाव आते ही आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठने लगता है. आने वाले समय में देश के कई.के कई राज्यों में चुनाव होने हैं, इसके अलावा 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना है. राजनीतिक पार्टियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. अपने अपने हिसाब से सभी पार्टिया मुद्दे की तलाश कर रही है। बीजेपी जहा एक तरफ कह रही हैं हम मुस्लिम आरक्षण को ख़त्म कर देंगे वही विपक्ष मुस्लिम आरक्षण रखना चाहती हैं हम आपको बता दे कि 4 परसेंट आरक्षण मुसलमानों को मिलता है.

मालूम हो कि हमारे देश में कुल पांच राज्य ऐसे हैं, जहां सभी मुसलमानों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है. और ये पांचों राज्य दक्षिण भारत से हैं. और ये पांचों राज्य दक्षिण भारत से हैं. इनमें तेलंगाना है, आन्ध्र प्रदेश है, कर्नाटक है, केरल है और तमिलनाडु है. पूरे दक्षिण भारत में अब तक सभी मुसलमानों के लिए आरक्षण की व्यवस्था थी. लेकिन पिछले दिनों कर्नाटक पहला ऐसा राज्य बना, जहां मुसलमानों को दिया गया चार प्रतिशत आरक्षण समाप्त कर दिया गया..और विपक्षी दलों का आरोप है कि कर्नाटक में ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वहां बीजेपी की सरकार है और बीजेपी ये सब चुनावों के लिए कर रही है. लेकिन बीजेपी का कहना है कि उसने राज्य में मुस्लिम आरक्षण को समाप्त करके भारत के संविधान की रक्षा करने का काम किया है. बताते चले की संविधान में भी इस बात का कहि उल्लेख नहीं है कि धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाये लेकिन भारत में मस्लिम वोटरों को साधने के लिए भारत में कुछ राज्य है जो अपने राज्य में मुसलमानों को आरक्षण दे रहे हैं