देश में वन नेशन, वन इलेक्शन आखिर क्यों कराना चाहती हैं मोदी सरकार

शुरू हो चुका है राजनैतिक दलों की अग्नि-परीक्षा का दौर ,देश में लोकसभा के चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज होने लगीं हैं।इसी बीच देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा के बीच राजनीति शुरू हो गई है.

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केंद्र की मोदी सरकार ने (1 सितंबर) को वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी गठित की है, जो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में काम करेगी. कमेटी देश में एक साथ चुनाव की संभावनाओं का पता लगाएगी. वन नेशन, वन इलेक्शन होने के लिए 8 सदस्यीय समिति भी बना दी गई है जिसमें केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे तथा पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को रखा गया है।बता दे कि केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर के दौरान संसद का विशेष सत्र बुलाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार इसमें वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक पेश कर सकती है.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों बीजेपी चाहती है देश में एक ही समय पर सारे चुनाव हो तो आपको बता दे कि देश में चुनाव के दौरान में होने वाले भारी भरकम धन खर्च , समय और संसाधनों को नियंत्रित करने के इरादे से इस मुद्दे को उठाया गया है। यूं तो स्वतंत्रता के बाद देश के पहले 4 चुनाव एक साथ हुए थे। पहली बार सन् 1951-52 में एक साथ चुनाव हुए थे। यह क्रम 1957, 1962, और1967 तक निरंतर जारी रहा। सन् 1968 और 1969 में समय से पहले कई राज्यों में विधानसभायें भंग हो गई और सन् 1970 में लोकसभा भी भंग हो गई। इसके बाद से यह सिलसिला थम गया। वहीं सन् 1999 में विधि आयोग तथा सन् 2019 में संसदीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने के सुझाव दिये थे, जिस पर केन्द्र सरकार ने विधि आयोग, निर्वाचन आयोग तथा नीति आयोग से राय मांगी थी ताकि देश का पैसा और समय बचाया जा सके। बता दे दुनिया में ऐसे कई देश है जहां पर one नेशन one इलेक्शन हो रहा है जिसमें साउथ अफ्रीका, स्पेन, स्लोवेनिया, होंडुरस, अल्बानिया, पोलैंड तथा स्वीडन में संसदीय चुनावों के साथ ही काउंटी और म्यूनिसिपल इलेक्शन साथ में होते हैं। ब्रिटेन में भी हाउस आफ कामन्स, लोकल इलेक्शन एवं मेयर इलेक्शन एक साथ कराने की परम्परा है। फिलिपीन्स, जर्मनी, बोलीविया, बेल्जियम, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका तथा गुआना जैसे देशों में भी वन नेशन-वन इलेक्शन लागू है।भारत में वन नेशन-वन इलेक्शन कराने को लेकर मोदी सरकार का कहना है कि अगर देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं, तो इससे करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही बार-बार चुनाव आचार संहिता न लगने की वजह से डेवलपमेंट वर्क पर भी असर नहीं पड़ेगा।सुरक्षा के दृश्टिकोण से भी देश मजबूत होगा।

लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे वन नेशन-वन इलेक्शन , चुनाव आयोग करायेगी दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिन राज्यों में अभी जल्द ही चुनाव हुवा है ,उस राज्य की जनता ने जिस सरकार को चुना है क्या वहां एक साथ इलेक्शन कराने के लिए सरकार को गिरा दिया जायेगा और फिर क्या इलेक्शन होगा। वन नेशन, वन इलेक्शन कराने के लिए चुनाव आयोग को बड़ी संख्या में evm मशीन खरीदना पड़ेगी , जिससे एक साथ देश में चुनाव कराया जा सके।फ़िलहाल विपक्ष के कई नेता इस मुद्दे को लेकर विरोध कर रहे है उनका मानना है कि मोदी सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ये सब कर रही है। वैसे वन नेशन, वन इलेक्शन पर आप क्या सोचते है आप कमेंट के माध्यम से हमको बता सकते हैं धन्यवाद्

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