क्या होता था जब डायनासोर इंसानो के साथ करते थे विचरण

एक स्टडी में खुलासा हुआ है की इंसानों के पूर्वज डायनासोर के साथ घूमते थे। दुनिया भर में काफी कम जीव ऐसे हैं जो जीवाश्म बन सकते हैं, बल्कि अधिकतर नष्ट हो जाते है।

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प्लैसेंटल मैमल्स को लेकर भी अधिक दस्तावेज नहीं है। ऐसे में इनके संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए जरुरी है कि जीवश्मों के पुराने डेटा से भी जानकारी ली जाए। मुर्गी पहले आई या अंडा, ये सवाल आमतौर पर पूछा जाता है, जिसका जवाब कई लोग नहीं दे पाते हैं। ऐसे ही एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या दुनिया भर में इंसानों के पूर्वज डायनासोर के समय पर भी थे, या डायनासोर के विलुप्त होने के बाद इंसानों के पूर्वज धरती पर आए थे। क्या इंसानों के पूर्वज भी डायनासोर के साथ रहे होंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है, जिसकी खोज में रिसर्चर्स अब भी लगे हुए है।

इस संबंध में इंग्लैंड स्थित ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और स्विट्जरलैंड स्थित फ्रिबोर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी को सुलझा लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 6.60 करोड़ साल पहले धरती की टक्कर जिस एस्टेरॉयड से होने के कारण धरती से डायनासोर विलुप्त हुए थे। उस टक्कर के बाद वैज्ञानिकों को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है,जिससे ये साबित होता हो कि उस समय धरती पर मनुष्य या मनुष्यों के पूर्वज मौजूद रहे होंगे। जानकारी के मुताबिक प्लैसेंटल मैमल को इंसानों के पूर्वज के तौर पर माना जाता है, मगर उस दौरान का ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिसमें प्लैसेंटल मैमल होने का सबूत मिला हो। हालांकि जीवाश्मों की जांच के दौरान मॉलीक्यूलर क्लॉक डेटा से अहम जानकारी सामने आई है। इसमें पता चला है कि डायनासोर के समय में भी ये वंश उपस्थित था। ये भी कहा जा रहा है कि जीवाश्मों के जरिए संभावना लग रही है कि वो डायनासोर के साथ घूमते थे।

बता दें कि मॉलीक्यूलर क्लॉक डेटा का उपयोग कर वर्षों पुराने जीन्स के अवशेषों की स्टडी कर उस समय के जीवों का पता लगाया जाता था। इस संबंध में नए स्टैटिस्टिकल एनालिसिस किया जाता है। इससे पता चलता है कि इंसानों के सबसे पुराने पूर्वज यानी प्लैसेंटल मैमल्स डायनासोर के समय भी मौजूद थे। उनके साथ क्रेटासियस काल में भी डायनासोर के साथ घूमा करते थे। हालांकि ये समय काफी कम रहा होगा। इस संबंध में जीवाश्म की स्टडी करने वाले ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की पैलियोबायोलॉजिस्ट एमिली कार्लीस्ले ने जानकारी दी कि डायनासोर के समय में इंसानों के होने का पता लगाने के लिए पुराने जीवाश्वों की स्टडी की गई है। प्लैसेंटल मैमल्स के शुरुआती जीवों की जानकारी सामने आई है। इससे उत्पत्ति और समाप्त होने के संदर्भ में जानकारी मिलती है। इन जीवाश्मों के जरिए ही प्लैसेंटल मैमल्स के विकास और उनके होने से संबंधित जानकारी का पता चल सकता है।

डेटा स्टडी करने के बाद ये सामने आया कि उस समय 380 प्लैसेंटल मैमल्स के परिवार थे, जो बड़ी संख्या है। सिर्फ यही नहीं डायनासोर के समय में 21.3 प्रतिशत प्लैसेंटल मैमल्स के परिवार उपस्थित थे। फ्रिबोर्ग यूनिवर्सिटी के इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट डैनियल सिलवेस्ट्रो ने बताया कि प्लैसेंटल मैमल्स के वंश की शुरुआती जानकारी इससे सामने आ सकती है। इस संबंध में अधिक व विस्तृत जानकारी इकट्ठा किए जाने की कोशिश की जा रही है। इसकी शुरुआती तस्वीर खींचने की कोशिश की है। वैज्ञानिकों ने कहा कि अब तक जो डेटा मिला है वो सही है। इस डेटा से ये भी पता चल सकता है कि किसी जीव के विलुप्त होने का नजदीकी समय क्या रहा होगा। बता दें कि दुनिया भर में काफी कम जीव ऐसे हैं जो जीवाश्म बन सकते हैं बल्कि अधिकतर नष्ट हो जाते है। प्लैसेंटल मैमल्स को लेकर भी अधिक दस्तावेज नहीं है। ऐसे में इनके संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए जरुरी है कि जीवश्मों के पुराने डेटा से भी जानकारी ली जाए।
रिपोर्ट – आयुष सिंह

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