आज का दिन इतिहास में दर्ज हुआ जानिये क्यों ?

प्रधान राष्ट्र सेवक ने आज राष्ट्र के नवनिर्मित मंदिर को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। संसद लोकतंत्र का तीर्थ है, देश की सबसे बड़ी पंचायत का यह निकेतन हम भारत के लोगों की आशाओं का आश्रय स्थल है नवनिर्माण का निरुपम निलय है.

कर्म प्रधान दर्शन का कुटीर है।लोकतान्त्रिक शक्तियों के श्रोत का समस्त अधिगम देश की जनता है। जनता से चयनित प्रतिनिधि इस प्रासाद के पटल से हिन्दुस्तान के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की आधारशिला रखते हैं। भारत के इस भव्य भवन से अब नए भारत का प्रादुर्भाव होगा जो समूचे विश्व को अपने प्रखर अलोक से प्रकाशित करेगा.

ALSO READ-लाड़ली बहनों पर शिवराज सरकार की नजर, महिला मोर्चा उपाध्यक्ष सीमा सिंह का बयान

लोकतंत्र का नूतन मंदिर राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद की सशक्त नीतियों एवं परम्पराओं को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निश्चय ही भाग्यशाली हैं जिनके कालखंड में शहीदों के स्वप्नों के सदन ने मूर्त रूप लिया। इतिहास को बनते देखना अप्रतिम अनुभूति है.

डेढ़ सौ करोड़ सदस्यों के कुटुंब का भारत आज इसका साक्षी बना। देश की आत्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले इस जीवंत स्थापत्य को आज भारत गणराज्य के लोगों ने अंगीकृत तथा आत्मार्पित किया। हालाँकि विपक्ष ने इन सब के बीच समारोह का बहिष्कार भी किया जो सुर्ख़ियों में रहा। संयोग ये भी रहा कि इस दिन वीर सावरकर की जयंती भी थी। अखंड भारत की तस्वीर भी चर्चा में रही जो संसद भवन में उकेरी गई है .

ALSO READ- जानिए कौन है दुनियां का सबसे बड़ा दानवीर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *