मध्यप्रदेश के पचमढ़ी के प्रवेश द्वार पर मां जगदंबे का एक मंदिर है…ऐसी मान्यता है कि, नवरात्रि पर यहां एक बार बाघ देवी के दर्शन करने जरूर आता है…इस दृश्य को सैकड़ों भक्तों ने भी देखा हैं…यह बाघ यहां किसी को भी नुकसान पहुंचाए बिना जंगल में वापस चला जाता है…बताया जा रहा है कि, ये सिलसिला 175 सालों से चला आ रहा है.
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नवरात्रि में मां के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। ऐसी भी मान्यता है कि आज भी माता के कई मंदिरों में बाघ दर्शन करने के लिए आते हैं। आज आपको ऐसे ही एक मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं, जहां आज भी माता के दर्शन करने के लिए बाघ आता हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश के पचमढ़ी के प्रवेश द्वार पर मां जगदंबे का एक मंदिर है। यहां ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर यहां एक बार बाघ देवी के दर्शन करने जरूर आता है। इस दृश्य को सैकड़ों भक्त भी देख चुके हैं। यह बाघ यहां किसी को भी नुकसान पहुंचाए बिना जंगल में वापस चला जाता है। मंदिर की सेवादार अंता भाई ने बताया कि मंदिर के बाहर एक चट्टान है। वहां नवरात्रि के दौरान एक दिन देर रात बाघ जरूर आता है और माता के दर्शन करके वापस चला जाता है। कई बार मंदिर के सामने बाघ हमारा से सामना हो चुका है, लेकिन माता की कृपा से वह हमें नुकसान नहीं पहुंचाता है।

रानी ने की थी प्रतिमा स्थापित
बता दें कि यह मंदिर 175 साल पुराना है। रानी महल की रानी ने इस मंदिर में मां जगदंबे की प्रतिमा स्थापित की थी। वर्षों के देखा जा रहा है कि बाघ नवरात्रि में मंदिर में मां जगदंबे के दर्शन करने के लिए आता है। अंबा माई ऐसा मंदिर है जहां जगदंबा की सबसे पुरानी प्रतिमा मां बगलामुखी की है। इसमें मां उल्टे शेर पर बैठी हैं। ऐसी मान्यता है कि मां की इस प्रतिमा को तांत्रिक ज्यादा मानते हैं। आज भी यहां तांत्रिक आकर पूजा-पाठ करते हैं। मंदिर की सेवादार अंता बाई बताती हैं कि मां अंबा माई हर भक्त की मुराद पूरी करती हैं। वह कहती हैं कि दंपत्ति यहां संतान उत्पत्ति की कामना के लिए आते हैं और उनकी मुराद भी पूरी होती है।