अतीक के आतंक की शुरुआत और उसके अंत की कहानी

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Atiq Ahmed

संगम किनारे स्थित प्रयागराज में एक दौर था ज़ब चाँद बाबा नाम के एक शख्श खौफ था। जो प्रयागराज (तब के इलाहाबाद) कभी अपनी पवित्रता और पौराणिकता के लिए जाना जाता था वही 70 और 80 के दौर में चाँद बाबा के आतंक की तस्दीक कर रहा था लेकिन चाँद बाबा के साम्राज्य को चुनौती देने के लिए 1962 में इलाहाबाद के चकिया में एक तांगेवाले के घर जन्म हुआ था एक लड़के का जिसका नाम रखा गया अतीक अहमद। अतीक अधिक बचपन से ही चाँद बाबा के रंग रुतबे को देखा उसके मन में भी ऐसा बनने की ललक जाग उठी थी। कम उम्र में ही अतीक के सर हत्या का मुकदमा भी लग गया। यहीं से शुरू हुआ अतीक के आतंक का वो अंतहीन सिलसिला जो लगभग 4 दशकों तक खौफ की अलग-अलग कहानियाँ लिखता रहा। साल 1989 अतीक का कद धीरे-धीरे प्रयागराज मे बढ़ रहा था। लेकिन अतीक समझ गया था कि अपराध के साथ-साथ उसे अब राजनीति का गठबंधन भी चाहिए और उसने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की सूची एक तरफ अतीक अहमद था तो दूसरी तरफ चाँद बाबा, चुनाव हुए और अतीक को जीत मिली। लेकिन सफेद पोश अतीक के कारनामें अब और तेजी से काले हो रहे थे। चुनाव के कुछ दिनों बाद चाँद बाबा की हत्या हो गई जिसका आरोप अतीक के ऊपर आया। अतीक प्रयागराज के साथ-साथ अगल-बगल के जिलों में भी मजबूत हो रहा था। एक बाद एक अपराध के दाग़ अतीक के दामन पर लग रहे थे। अतीक 3 बार निर्दलीय विधायक बन चूका था।

अतीक अहमद का राजनैतिक सफर

1996 के विधानसभा चुनाव आए और समाजवादी पार्टी नें अतीक अहमद को टिकट दिया और अतीक फिर विधायक बन गए। अतीक जैसे-जैसे सियासत में बढ़ रहा था उसी प्रकार से वो अपराध की दुनिया में भी विशाल आकार ले रहा था। साल 2004 में अतीक नें अपने लिए नया सियासी रास्ता चुना और अपना दल का दामन थामा फूलपुर सीट से अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद भी बन गया। सांसद बनते ही उसका रुतबा और बढ़ गया लेकिन उसके सांसद बनने के उसकी परम्परागत सीट इलाहाबाद पश्चिम की उसकी खाली हो गई थी, जहां से उसने अपने भाई अशरफ को विधायक बनाने की सोची और उसे चुनौती मिली बसपा के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ रहे राजू पाल से चुनाव संपन्न हुए और अशरफ को हराकर राजू पाल विधायक बन चुके थे लेकिन इसके बाद एक ऐसा घटनाक्रम हुआ जो शायद ही पहले कभी ही हुआ हो, बसपा की विधायक राजू पाल की सड़कों पर दौड़कर गोली मार की हत्या कर दी गई और आरोप आया अतीक के सर लगा। 2007 में उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी और यहीं से अतीक की उल्टी गिनती शुरू हो गई एक के बाद एक अतीक पर मुकदमे शुरू होने लगे और उसे जेल में भी डाल दिया गया।

अतीक पर शिकंजा

2017 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो सरकार का दावा था कि जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करेंगे और अपराधियों को नहीं छोडेंगे। इसी बीच एक मामला प्रकाश में आया की एक व्यापारी को जेल में बुलाकर पिटाई की गई उसी जेल मे जहाँ अतीक बन्द था और मामला अतीक से जुड़ा जिसके बाद अतीक का जेल ट्रांसफर हो गया और उसे साबरमती जेल भेज दिया गया। इसके बाद शुरू हुआ उसपर ताबड़तोड़ कारवाई का दौर एक के बाद एक उसके द्वारा कब्ज़ा की गईं संपत्तियों पर बुलडोजर चलने लगा। साल 2023 महीना फरवरी प्रयागराज के धूमनगंज जिला के में राजू पाल हत्या की गवाह उमेश पाल की सड़कों पर दौड़ा कर निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई प्रयागराज के सड़कों पर खुलेआम गोलीबारी की गई और बम मारे गए, इस घटना में उमेश पाल और उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई। मामला फिर अतीक से जुड़ा घटना का वीडियो भी वायरल हुआ अतीक के बेटे असद उसके सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन से इस मामले के तार जुड़ने लगे। इस पूरे मामले पर खूब सियासी रंग भी चढ़ा सदन मे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बीच सदन में जोरदार बहस भी हुई और योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस माफिया को मिट्टी मे मिला देंगे।

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अतीक का अंत

मामले की जांच शुरू हुई कुछ दिनों बाद अतीक के बेटे असद को झांसी में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया गया। अतीक के भाई अशरफ को बरेली जेल से और अतीक को साबरमती जेल से पूछताछ के लिए प्रयागराज लाया गया। 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल के बाहर पुलिस कस्टडी मे तीन लोगों ने अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी। अतीक और अशरफ की हत्या के बाद इस पुरे मामले पर सियासत भी खूब हुई। किसी ने पुलिस कस्टडी में अतीक की इस प्रकार हुई हत्या को गलत ठहराया और कहा कि वह अपराधी था तो उसे कानून सजा देता इस तरह पुलिस कस्टडी में किसी की हत्या कई सवाल खड़ी करती है, तो कुछ लोगो नें ये भी कहा अतीक का खौफ जिस प्रयागराज की सड़को पर हत्या करके कायम हुआ था उसी प्रकार उसका अंत भी हुआ।

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