अपराध की काली दुनिया में ऐसे कई नाम हुए जिनके नाम की दहशत पूरे देश में रही और जिन्होंने जरायम की दुनियां में अर्शे तक बादशाहत कायम रखी .काली दुनियां के तिलश्म से प्रभावित होने वाले कई लड़के अपने अंजाम से अनजान इस अंधी दौड़ में शामिल हुए.
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जिसमे एक नाम बहुत तेजी उभर कर आया जिसने अपराध की दुनिया का व्याकरण ही बदल कर रख दिया .जिसको खौफ की दुनियां में दुर्लभ कश्यप के नाम से जाना गया दुर्लभ की पहचान थी- माथे पर तिलक, आंखों में सूरमा, कंधे पर काला गमछा..वैसे उज्जैन शहर का नाम सुनकर हमारे दिलों और दिमाग सिर्फ एक ही नाम याद आता हैं वो है कालों के काल महाकाल का नाम । ये शहर दुनियाँ भर में महाकालेश्वर के मंदिर केलिए जाना जाता है। इस शहर की आबादी लगभग 23 लाख की हैं। शहर में अमन हैं शांति हैं और हर हर महादेव की गूंज हैं।

जब उज्जैन में छोटी उम्र के लड़के पढ़ाई लिखाई में लगे थे, तभी उसी शहर का एक लड़का अपराध की दुनियाँ में अपने नाम की खौफ फैला रहा होता है । देखते ही देखते पूरे उज्जैन में इस 16 साल के लड़के की चर्चा होने लगती हैं। जल्द ही ये लड़का अपना एक गैंग बना लेता हैं। फिर रोज पुलिस थानों में एक ही नाम से कई एफआईआर दर्ज होने लगते है। पुलिस भी हैरान थी की महज 16 साल का ये लड़का इतना आंतक कैसे मचा सकता है।आइए, आपको बताते हैं कि 16 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रखने वाले दुर्लभ ने कैसे बना लिया था इतना बड़ा गैंग… 8 नवंबर सन् 2000 को उज्जैन जिले के जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में एक बिजनेस कारोबारी पिता और सरकारी टीचर मां के यहां किलकारियां गूंज उठी। जन्म हुआ एक लड़के का, पिता ने नाम रखा दुर्लभ ,उनका मानना था कि बड़ा होकर उनका बेटा एक अच्छा और सबसे हटके कुछ नया समाज में करेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही ,अच्छा तो नही , लेकिन सबसे हटके जरूर ,दुर्लभ ने जरायम का रास्ता चुन लिया। दुर्लभ के इस सफर की शुरवात स्कूल से हुई। स्कूली समय से ही दुर्लभ अपने से सीनियर और जूनियर के झगड़ो को निपटाने लगा ,फिर क्या दुर्लभ धीरे-धीरे स्कूल का दादा बन गया। फिर क्या था स्कूली दादा का खौफ इतना बढ़ गया की इसकी उम्र के लड़के दुर्लभ को ही अपना आका मानने लगे।थोड़े दिनों में ही कश्यप ने अपने ही उम्र के लड़कों के साथ एक गैंग बना लिया।

इस गैंग के लड़के ,कश्यप के कहने पर किसी को भी मौत के घाट उतारने को तैयार रहते थे। कुछ सूत्र बताते हैं की दुर्लभ का नाम इतना था की दूसरे शहर के लड़के भी उससे जूड़ने के लिए उज्जैन अपना घर बार छोड़कर आने लगे थे। दुर्लभ की फैन फॉलोइंग हर दिन के साथ बढ़ रही थी। इससे उसे मजबूती मिली और वह शहर में छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देने लगा। इसी बीच दुर्लभ ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख दिया था दुर्लभ धीरे धीरे अपराध की सीढ़ियों को चढ़ता जा रहा था। लेकिन अब वह उज्जैन के बड़े कारोबारी और पुलिस के आंखों में गड़ने लगता हैं । यही वो वक्त था जब कश्यप अपनी उम्र के दहलीज को पार करके ,17 साल का हो चुका होता हैं । 17 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते उसके ऊपर तमाम अपराधिक मामले भी दर्ज होने लगते है , जिनमें फिरौती, जान से मारने की धमकी जैसे संगीन मुकदमे होते है। 18 साल की उम्र तक पहुंचते ही उस पर 9 मुकदमे दर्ज हो चुके थे। ऐसा कहा जाता हैं की दुर्लभ को उज्जैन का भाई बनाने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ था। कश्यप ने अपने फेसबुक के अकाउंट के बायो में लिख रखा था की कि वह कुख्यात बदमाश है , हत्यारा और अपराधी है ,कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उससे संपर्क करें। ऐसे तमाम पोस्ट के जरिए वो और उसका गैंग लोगों को धमकाने का काम करता है । लेकिन कहते है न की अपराध की दुनिया ज्यादा बड़ी नही होती हैं। 27 अक्टूबर 2018 को जैसे ही उज्जैन पुलिस को इन पोस्ट के बारे में पता चला तो पुलिस ने दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को गिरफ्तार करके जेल भेज देती हैं।

ये पहली बार था जब दुर्लभ कश्यप को जेल होती हैं। नाबालिग होने पर उसे बाल गृह में रखा गया। किशोर न्याय बोर्ड ने 24 अप्रैल 2019 को उसे इंदौर भेज दिया। वह बालिग हुआ तो पुलिस ने फिर कार्रवाई की। पुलिस के डर से 1 साल से ज्यादा दुर्लभ उज्जैन के भैरवगढ़ जेल में रहा।उस समय उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर हुआ करते थे। जेल में पूछताछ के दौरान उन्होंने दुर्लभ को देखकर कहा था- तू जेल में ही सेफ है, उम्र से ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, बाहर निकलेगा तो कोई मार देगा। 18 साल की उम्र में उसके खिलाफ 9 केस दर्ज हो गए थे। कहा जाता है कि दुर्लभ जेल से भी गैंग चला रहा होता हैं। 2 साल जेल में बंद रहने के बाद कोरोना काल के दौरान 2020 में दुर्लभ की रिहाई हो जाती है। रिहाई के बाद दुर्लभ इंदौर में रहने लगता है. लॉकडाउन खुलने के दुर्लभ वापस माँ के पास उज्जैन आजाता हैं । तभी एसपी साहब की भविष्यवाणी बिल्कुल सच साबित होती है ।

6 सितम्बर 2020 की रात होती है दुर्लभ की माँ ने अपने बेटे और उसके दोस्तों के लिए दाल बाटी बनाती हैं , सब साथ बैठकर खाना खाते हैं , इसके बाद दुर्लभ को सिगरेट पीने की तलब होती हैं। वह अपने चारों दोस्तों के साथ चाय और सिगरेट पीने के लिए अमन उर्फ़ भूरा की दुकान पर रात के एक बजे पहुंच जाता हैं। उस समय रात के करीब डेढ़ बज रहे होते हैं , तभी यहाँ पर दूसरी गैंग के शहनवाज, शादाब, इरफ़ान, राजा, रमीज और उनके कई साथी भी उसी दुकान पर पहुँच जाते हैं । पुरानी रंजिश के चलते दोनों एक दूसरे को घूरने लगे लगते हैं , शहनवाज से दुर्लभ की कहासुनी हो जाती है । बात इतनी बढ़ जाती है कि शाहनवाज और उसके साथी चाकू से कश्यप के ऊपर हमला कर देते है , इसी बीच दुर्लभ शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर लगी और वो घायल हो जाता हैं। गोली चलने के बाद शहनवाज के साथी दुर्लभ और उसके दोस्तों पर टूट पड़ते है । दुर्लभ के साथ उसके चार दोस्त थे, जबकि शाहनवाज के साथियों की संख्या काफी ज्यादा थी।शहनवाज के साथी दुर्लभ पर चाकुओं से वार करना शुरू कर देते है जिसके बाद दुर्लभ के दोस्त अपनी जान बचाकर भाग जाते है । कश्यप के दोस्त अभिषेक शर्मा का कहना था कि शादाब चाक़ू मार रहा था और चाय वाला भूरा कह रहा था कि “शादाब भाई इसे ख़त्म कर दो जिन्दा मत छोड़ना”। दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था और मात्र 20 साल की उम्र में उसकी मौत हो जाती है । इस गैंगवार की खबर से पूरे उज्जैन की नींद खुल गई। हर चैनल पर बस कश्यप की खबरें चलने लगती है

वो माँ जिसने कुछ समय पहले ही अपने जिस बेटे को खाना खिलाया था, थोड़ी ही देर बाद उसी बेटे की लाश की शिनाख्त करने के लिए उसे बुलाया गया। दुर्लभ की मौत के 7 महीने बाद उसकी माँ पदमा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पिता मनोज कश्यप चाहते हैं कि जिस राह पर उनका बेटा गया कोई और युवा अपराध के उस रस्ते पर ना जाए। दुर्लभ हत्याकांड के मुख्य आरोपी की भी जेल में मौत हो गयी. वो छत पर चढ़ा और वहां से औंधे मुंह नीचे कूद गया जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई, उपचार के लिए उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी।