हरीश रावत सरकार के दौरान सियासत में भूचाल मचाने वाले स्टिंग ऑपरेशन का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर

साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के दौरान सियासत में भूचाल मचाने वाले स्टिंग ऑपरेशन का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है।

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विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े इस मामले में सीबीआई कोर्ट की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत दो अन्य विधायकों को नोटिस जारी होने के बाद सूबे की सियासत में हलचल पैदा हो गई है। 18 मार्च 2016 को राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक पर विपक्षी पार्टी भाजपा ने मत विभाजन की मांग की..  जिसका कांग्रेस के 9 विधायकों ने समर्थन किया … जिसके बाद प्रदेश में राजनैतिक संकट पैदा हो गया। इससे पहले कि हरीश रावत बहुमत साबित करते एक निजी चैनल ने उनका स्टिंग जारी कर दिया … 

स्टिंग ऑपरेशन में खुद 28 मार्च 2016 को होने वाले विश्वास मत हासिल करने के लिए पार्टी के बागी विधायकों के साथ कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आए। इसके बाद हरक सिंह रावत और तत्कालीन कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट का एक और स्टनिंग ऑपरेशन जारी हुआ जिसने प्रदेश में सियासी भूचाल और तेज कर दिया । 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई … और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हरक सिंह रावत _ सुबोध उनियाल कैबिनेट मंत्री बन गए । करीब 5 साल तक इस टीम के मामले में सीबीआई जांच कभी सुर्खियां नहीं बनी.. लेकिन अब फिर से नोटिस जारी होने से इस मामले में सीबीआई की सक्रियता के सियासी मायने टटोले जा रहे है। 

साल 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका एक स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था ..  इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था।  इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था ..  जिसमे विधायक मदन बिष्ट के होने का दावा किया गया था..  इसमें हरक सिंह रावत भी शामिल थे … स्टिंग में दावा किया गया की विधायकों की खरीद-फरोख्त चल रही है। इस मामले की जांच सीबीआई ने की और अब सीबीआई कोर्ट की तरफ से इस स्टिंग में जो आवाज है उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉइस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी है। 

स्टिंग का जिन्न फिर बाहर निकलने के बाद खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने कहा कि उन्हें अभी नोटिस की कोई कॉपी नहीं मिली है और अगर नोटिस आया भी है तो उस नोटिस का अध्ययन करने के बाद उसका कानूनी जवाब दिया जाएगा। इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि हम प्रतिपक्ष हैं और हमारी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता रहेगा। हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि वो किसी जांच एजेंसी से डरने वाले नहीं हैं और जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अभी तक उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है और नोटिस मिलने के बाद ही कार्यवाई की जाएगी। वही कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की मानें तो जिन लोगों ने सत्ता का दुरपयोग किया है उन्हे सजा जरूर मिलेगी। और कोर्ट और कानून जो काम कर रहा है उन्हे उस पर भरोसा है

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