किसान और बंदर की दोस्ती बनी मिशाल किसान के मरने पर पहुँचा बंदर

खबर है लखीमपुर खीरी से जहां एक गांव गोंधिया में एक किसान और बंदर की दोस्ती का मामला सामने आया है।ये दोस्ती कोई ऐसी वैसी नहीं है ये दोस्ती आज के इंसानों बताती है कि दोस्ती सिर्फ इंसानों के बीच नहीं हो सकती है।

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दोस्ती किसी भी पक्षी पशु और जानवर से हो सकती हैं।बता दे कि किसान की मौत पर अंतिम दर्शन करने एक बंदर जंगल से निकलकर उसके घर पहुंच गया।बंदर शव से चादर हटाकर किसान का चेहरा देखा। बन्दर करीब एक घंटे तक बैठा रहा। इस बीच बंदर काफी दुखी और परेशान दिखा और परिवार की महिलाओं की गोद में सिर रखा और फिर कहीं चला गया। ये खबर आग की भांति पूरे क्षेत्र में फ़ैल गयी और आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बना गया है। कहा जा रहा है कि बंदर रोटी से पनपी दोस्ती का कर्ज और फ़र्ज़ निभाने पहुंचा था।बिजुआ क्षेत्र के गोंधिया निवासी चंदनलाल वर्मा की मंगलवार को मौत हो गई। परिजन और सगे संबंधियों का रो-रोकर बुरा हाल था। इसी समय एक बंदर कहीं से आ गया और मृतक चंदनलाल पर पड़ी चादर को हटाकर उनका चेहरा देखने लगा। ये देख ग्रामीण हैरान रह गए। ग्रामीणों के अनुसार बंदर परिजनों के पास ही बैठा रहा। रोती हुई महिलाओं की गोद में अपना सिर रखा। बंदर की यह गतिविधि चर्चा का विषय बन गई। परिजनों के अनुसार मृतक चंदनलाल वर्मा जंगल के किनारे जानवरों से फसल बचाने के लिए झोपड़ी डालकर दिनभर खेतों में रुकते थे। घर से जो खाना ले जाते उसमें से एक रोटी बंदर को दे देते थे। खाना खाने के समय बंदर उनके पास आ जाता था। बेटे सोनू ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले पिता चंदनलाल को फालिज अटैक हो गया था।

इससे वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे। चंदनलाल एक वर्ष से खेतों में नहीं गए थे। पता नहीं कैसे बंदर को उनकी मौत का पता चल गया। गांव के बुजुर्ग मोहनलाल वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी ना देखा और न ही सुना था। वाकई में जानवर, इंसान से ज्यादा संवेदनशील व समझदार होते हैं।

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