हमारे देश में ये व्यक्ति की पहचान का मामुली हिस्सा नहीं बल्कि इसी में उसके भविष्य का मूल छुपा हुआ है…जाति का मुद्दा जो सामाजिक, आर्थिक , शैक्षणिक से लेकर देश की राजनीति पर प्रभाव रखता है…विडंबना देखिए देश की इतना बड़ी आबादी की जाति से जुड़ा कोई भी विस्तृत डेटा आज के समय में उपलब्ध नहीं.
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हमारे देश की राजनीति में जातिवाद बुरी तरह से हावि है…लेकिन केंद्र से लेकर तमाम राज्यों में आंकड़ों के आधार पर नीति विशेषज्ञ जनता के विकास के लिए जो योजनाएं बनाते है…उसमें जाति का जिक्र ना के बराबर है…एक बार फिर से जातिय जन गणना का मुद्दा गर्मा गया है…उत्तरप्रदेश में एक बार फिर जातिय जनगणना का मुद्दा गर्मा गया है…अखिलेश यादव ने कहा की जब बिहार में जातिय जनगणना हो सकती है तो यूपी ने क्यों नहीं…समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ये भी कहा की जब उन्हें मौका मिलेगा वो जातिय जनगणना करवाएंगें …जबकी बीजेपी इसका सीधे तौर पर विरोध कर रही है…जातिय जनगणना के समर्थन और विरोध में तमाम तरह के तर्क है…लेकिन इसको लेकर जनता के हित के बनसपत राजनीतिक दलों अपने हितों को ज्यादा तवज्जों देते नजर आते है…इस पर आज चर्चा करेंगे उससे पहले जानते है पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया.