उत्तरप्रदेश की सियासत अब 2 खेमों में स्पष्ट रूप से विभाजित हो गई है… एक खेमा वो है जो प्रभु श्रीराम का आदर करता है…और रामचरितमानस से लेकर प्रभु श्रीराम के विरुद्ध एक भी शब्द सुनने को तैयार नहीं है.
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दूसरा खेमा वो है जिसका मानना है कि प्रभु श्रीराम का अनादर कर और रामचरितमानस का विरोध कर राजनीति को धार दी जा सकती है… समाजवादी पार्टी दूसरे खेमे में है… समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य प्रभु श्री राम का लगातार अपमान कर रहे हैं…. उन्होंने रामचरितमानस का भी विरोध किया है…. और यह विरोध इस स्तर तक पहुंचा है कि कथित रूप से रामचरितमानस की प्रतियां भी जलाई जा चुकी हैं…. अब स्वामी प्रसाद मौर्य सीधे प्रभु श्रीराम के विरोध में खड़े हो गए हैं… उन्होंने 1993 का एक नारा दोहराया है… हवा में उड़ गए जय श्री राम… स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह नारा रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर दिया…
उस वक्त मंच पर अखिलेश यादव भी मौजूद थे… तो क्या समाजवादी पार्टी में राम और रामचरितमानस के विरोध को अखिलेश यादव की मौन स्वीकृति है… और राम का विरोध करके समाजवादी पार्टी उत्तरप्रदेश में कौन सा मकसद साधना चाहती है… आज स्पॉटलाइट में इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं…… लेकिन इससे पहले सुनते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य के नारे पर राजनीतिक दलों के बयान…