श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और लाखों श्रद्धालु कांवर यात्रा पर निकलते हैं। उत्तर प्रदेश में सावन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, गाज़ीपुर, मिर्जापुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत जैसे जिलों से होकर गुजरते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार भी श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए अनेक विशेष कार्य किए हैं।

- कांवर यात्रा के लिए विशेष प्रबंध
उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवरियों की सुरक्षा और सुविधा हेतु विशेष प्रबंध किए हैं। रास्तों को साफ-सुथरा और जल रहित बनाए रखने के लिए नगर निकायों को निर्देश दिए गए। हाईवे और मुख्य सड़कों पर टैंकरों से छिड़काव और सफाई का विशेष अभियान चलाया गया। कांवर मार्गों पर अस्थायी स्वास्थ्य शिविर, पेयजल की व्यवस्था और रैन बसेरों की स्थापना की गई।
- ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था
राज्य में कांवर यात्रा के दौरान ट्रैफिक को सुचारू रखने के लिए विशेष ट्रैफिक प्लान तैयार किया गया। ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी की मदद से निगरानी की जा रही है। पुलिस बल, पीएसी और होमगार्ड्स की अतिरिक्त तैनाती की गई ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था ना हो।
- धार्मिक स्थलों पर व्यवस्थाएं
काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी), बौद्ध स्थल (सारनाथ), प्रयागराज के संगम तट, महादेव मंदिर (मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया आदि) पर विशेष भीड़ प्रबंधन और दर्शन व्यवस्था की गई। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मोबाइल टॉयलेट, फ्री शुद्ध पेयजल और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
- डिजिटल निगरानी और ऐप आधारित सेवाएं
राज्य सरकार ने “कांवर सेवा ऐप” और स्थानीय सूचना केन्द्रों के माध्यम से श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की। आपात स्थिति में सहायता हेतु हेल्पलाइन नंबर और कंट्रोल रूम सक्रिय किए गए।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्थानीय रोजगार
सावन के दौरान मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शिवरात्रि पर धार्मिक आयोजन कराए गए, जिससे स्थानीय कलाकारों और दुकानदारों को भी रोजगार मिला। सावन 2025 के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने आस्था, व्यवस्था और सुरक्षा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि श्रद्धालुओं को हर स्तर पर सुविधा मिले और परंपराएं सम्मान के साथ निभाई जाएं।