भारत के लिए आज का दिन अंतरिक्ष विज्ञान की दृष्टि से ऐतिहासिक साबित हो सकता है। भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट और अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर लगभग 18 दिन बिताए हैं।
यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री व्यावसायिक अंतरिक्ष मिशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पर पहुँचा और वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया
- पृथ्वी पर वापसी की अनुमानित समयरेखा
(यह विवरण Axiom Space और मिशन कंट्रोल द्वारा साझा किए गए तकनीकी कार्यक्रमों पर आधारित है) सोमवार, 14 जुलाई – शाम 4:45 बजे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से पृथ्वी वापसी के लिए “ड्रैगन कैप्सूल” में यात्रा शुरू की।
शाम 5:11 बजे
कैप्सूल अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होकर पृथ्वी के वायुमंडल की दिशा में गति करने लगा।
मंगलवार, 15 जुलाई – सुबह 7:36 बजे
कैप्सूल का ट्रंक पृथक हुआ और हीट शील्ड सक्रिय होने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
दोपहर 1:26 बजे (अनुमानित)
कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। इस समय इसकी गति लगभग 26,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। हीट शील्ड इसे वायुगति से उत्पन्न अत्यधिक घर्षण और गर्मी से सुरक्षित रखेगा।
दोपहर 2:17 बजे (अनुमानित)
हीट शील्ड लगभग 1600 डिग्री सेल्सियस तक की तीव्र गर्मी में कैप्सूल को सुरक्षित रखेगा।
दोपहर 2:27 बजे (अनुमानित)
कैप्सूल के वायुमंडल से गुजरने के बाद पहला पैराशूट खुलेगा, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 5.7 किलोमीटर ऊपर सक्रिय होगा। इससे गिरने की गति में उल्लेखनीय कमी आएगी।
दोपहर 2:47 बजे (अनुमानित)
दूसरा पैराशूट पृथ्वी से लगभग 2 किलोमीटर की ऊँचाई पर खुलेगा, जिससे सुरक्षित और स्थिर अवतरण सुनिश्चित होगा।
दोपहर 3:01 बजे (अनुमानित)
कैप्सूल की लैंडिंग प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट के पास होने की संभावना है। लैंडिंग के तुरंत बाद रिकवरी टीम कैप्सूल को बाहर निकालने की प्रक्रिया प्रारंभ करेगी।
- क्यों खास है यह मिशन?
यह मिशन भारत की ओर से निजी और सरकारी क्षेत्र की साझेदारी में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है। शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में विश्वसनीयता, आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति का प्रमाण है।

- शुभांशु शुक्ला: एक परिचय
उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ पायलट हैं। उन्हें इसरो के गगनयान मिशन के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। Axiom-4 मिशन के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारत के कई शिक्षण संस्थानों और स्टार्टअप्स की भागीदारी रही।
Axiom-4 मिशन की यह संभावित वापसी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी और भावनात्मक क्षण होगा। यह मिशन न केवल भारतीय प्रतिभा का प्रतीक है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में स्वदेशी मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों की दिशा में एक मज़बूत नींव रखता है। पूरे देश की निगाहें अब इस ऐतिहासिक वापसी की पुष्टि पर टिकी हैं।